Bihar News: बिहार में कांग्रेस अपनी खोई जमीन दोबारा हासिल करने की जुगत में लग गई है. वह प्रदेश कांग्रेस में नए-नए बदलाव कर रही है. इस बीच कांग्रेस आलाकमान ने भक्त चरण दास को हटाकर बिहार प्रभारी का दायित्व मोहन प्रकाश के हाथ में सौंपी दी है. बिहार कांग्रेस का प्रभार मोहन प्रकाश को मिलने के बाद सियासी हलकों में अटकलें लगनी तेज हो गई है कि उनके लिए बिहार की राह आसान नहीं होने वाली है. आइए इस ऑर्टिकल में जानते हैं कि मोहन प्रकाश के सामने चुनौतियों किताना बड़ा महाअंबार है.


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प्रदेश कांग्रेस में गुटबाजी को खत्म करना
मोहन प्रकाश को सबसे पहले कांग्रेस में हो रही गुटबाजी को खत्म करना होगा. साथ ही प्रदेश कमेटी का गठन करना होगा. यह इतना आसान भी नहीं है, क्योंकि इससे पहले मदन मोहन झा भी गुटबाजी और विरोध की वजह से प्रदेश कमेटी का गठन नहीं कर सके थे. इतना ही नहीं मोहन को कमेटी के माध्यम से क्षेत्रीय संतुलन को बैठना होगा. साथ ही नए और पुराने चेहरे के बीच सामंजस्य बैठा कर कमेटी को विवाद से दूर रखना होगा.


बिहार में कांग्रेस की खोई जमीन वापस पाने पर जोर
बिहार कांग्रेस के नए प्रभारी मोहन प्रकाश जब प्रदेश कमेटी में गुटबाजी खत्म कर, इसका गठन कर देंगे. इसके बाद उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी कांग्रेस की बिहार में खोई जमीन पर वापस पाने की. यह बहुत बड़ी जिम्मेदारी भी मोहन प्रकाश पर आलाकमान ने दिया है. इतना ही कांग्रेस को अपने पुराने वोट बैंक को वापस लाना होगा, जो छिटक चुका है.


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सहयोगी पार्टियों से तालमेल सेट करना
प्रदेश कांग्रेस प्रभारी को आरजेडी और जेडीयू के साथ तालमेल सेट करना भी किसी कठिन काम से कम नहीं होगा. क्योंकि मौजूदा वक्त में जदयू और आरजेडी बिहार की सबसे बड़ी पार्टी मानी जाती है. कांग्रेस इनसे बहुत पीछे जा चुकी है. हालांकि, बिहार में सत्ताधारी गठबंधन में शामिल आरजेडी और जेडीयू से मोहन प्रकाश को 
सामंजस्य बनाने में मुश्किल न हो शायद, लेकिन गठबंधन में कांग्रेस को क्या सही हक मिल पाएगा. सबसे बहुत बड़ी चुनौती होगी कि कांग्रेस को गठबंधन में वाजिब हक मिले.