New Law in Bihar: 28 फरवरी, दिन बुधवार को बिहार विधानसभा के दोनों सदनों में नीतीश कुमार सरकार ने बिहार अपराध नियंत्रण अधिनियम, 2024 पेश किया. एक बार जब यह अधिनियम विधानसभा और विधान परिषद में पारित हो जाएगा, तो यह जिला मजिस्ट्रेट को असामाजिक तत्वों को एक साल तक जेल में डालने या दो साल तक जिले से बाहर करने की शक्ति देता है. हालांकि, बिल का विवरण सार्वजनिक रूप से नहीं किया गया है.


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सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, यह अधिनियम जिला मजिस्ट्रेट-रैंक के अधिकारी को बिना किसी वारंट के किसी भी असामाजिक तत्व को गिरफ्तार करने की अनुमति देगा. गिरफ्तार किए गए लोगों को अपना रुख स्पष्ट करने का मौका मिलेगा. वे कार्रवाई के 15 दिन के अंदर मंडलायुक्त के समक्ष अपील भी कर सकते हैं.


राज्य सरकार ने इस विधेयक में असामाजिक तत्वों की परिभाषा बताई है. जो व्यक्ति दंडनीय अपराधों में शामिल है या करने की कोशिश करता है या लोगों को ऐसा करने के लिए उकसाता है तो वह असामाजिक तत्व की श्रेणी में आएगा.


अनैतिक गतिविधियों में शामिल व्यक्ति या महिलाओं या बच्चों को देह व्यापार में धकेलना, धर्म, जाति, समुदाय या भाषा के आधार पर नफरत फैलाना, महिलाओं और लड़कियों के साथ छेड़छाड़ करना, विस्फोटकों, आग्नेयास्त्रों के निर्माण, बिक्री या प्रयोग में शामिल होना, अवैध रेत का व्यापार और परिवहन, शराब का निर्माण, व्यापार या परिवहन, अवैध तरीके से जमीन हड़पना या साइबर अपराध में शामिल होना असामाजिक तत्व की श्रेणी में आएगा.


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बिहार अपराध नियंत्रण अधिनियम में पटना हाईकोर्ट के न्यायाधीश की अध्यक्षता में तीन सदस्यों का एक सलाहकार बोर्ड बनाने का भी प्रावधान होगा. अगर किसी पर इस अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया जाएगा, तो वह बोर्ड के समक्ष भी अपील कर सकता है. अगर उसे अपराध का दोषी नहीं पाया जाता है, तो बोर्ड के पास उन्हें बरी करने की शक्ति है. बिहार अपराध नियंत्रण अधिनियम एक इंस्पेक्टर या उससे ऊपर के रैंक के अधिकारी को किसी भी व्यक्ति और वाहन की तलाशी लेने की शक्ति भी देता है.