Bihar Politics: बिहार में फ्लोर टेस्ट से पहले सत्ताधारी दलों के नेता तेजस्वी यादव को बच्चा बताने में जुटे थे. बहुमत परीक्षण के वक्त तक वही बच्चा अपने चच्चा यानी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नींद उड़ा दिए. तेजस्वी ने नीतीश कुमार के साथ बीजेपी के आलाकमान को भी सकते में डाल दिया. बीजेपी नेता बिहार में ऑपरेशन लोटस को सफल बनाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन तेजस्वी ने ऑपरेशन लालटेन को सफल करके दिखा दिया है. दरअसल, फ्लोर टेस्ट से पहले बीजेपी और जेडीयू के कई विधायक टूट गए. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से विधायकों की घेराबंदी के लिए पूरी ताकत झोंक दी गई थी. इसके बाद भी जेडीयू के पार्टी के कुछ विधायकों को खोजने में असफल रहे. जेडीयू विधायकों की टूट तो समझ में आती है, लेकिन मोदी-शाह राज में पहली बार बीजेपी विधायक भी टूटते हुए दिखाई दिए.  


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अभी तक बीजेपी का अश्वमेघ रथ का घोड़ा निर्भीक होकर सभी राज्यों में विचरता था. ऑपरेशन लोटस ने कई राज्यों में भगवा लहराया. मोदी-शाह के कार्यकाल में विरोधी विधायक बड़े आराम से पाला बदलते दिखे. हालांकि, पहली बार बीजेपी के विधायक अपने आलाकमान के विश्वास को तोड़ते हुए दिखाई दिए. बिहार में बीजेपी के साथ जो हुआ उसने ना सिर्फ प्रदेश के नेतृत्व पर सवाल खड़े किए, बल्कि केंद्रीय नेतृत्व को भी सोचने पर मजबूर कर दिया. तेजस्वी ने जब खेला होने की बात कही थी तो डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने कहा कि वह अभी बच्चा हैं. उन्हें खेलने के लिए खिलौना मिल गया है. इस घटना ने साबित कर दिया बच्चा अब काफी बड़ा हो गया है. 


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बता दें कि नीतीश कुमार ने जब से बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी, तभी से कांग्रेस में टूट होने के दावे किए जा रहे थे. सत्तापक्ष के इस दावे के बाद तेजस्वी ने खुद कमान संभाली और सबसे पहले कांग्रेस विधायकों को प्रदेश से बाहर सुरक्षित स्थान में भिजवाया. इधर वह अपनी पार्टी और वामदलों के विधायकों को एकजुट करने में जुटे रहे. फ्लोर टेस्ट से एक दिन पहले ही कांग्रेस विधायक पटना पहुंचे और उन्हें तेजस्वी यादव के आवास पर ठहराया गया. सोमवार को फ्लोर टेस्ट के दिन जब राजद के 2, भाजपा के 3 और जेडीयू के 3 विधायक अनुपस्थित बताए जा रहे हैं तो ऐसे में कांग्रेस आलाकमान इस बात से सुकून महसूस करेगा कि उसके विधायक टूटने से बच गए.