Bihar Road News: बिहार में सड़कों की खस्ता हालत किसी से भी छुपी नहीं है. प्रदेश की टूटी सड़के हादसों की वजह बन रही हैं. खस्ताहाल सड़कें न केवल हादसे बल्कि हड्डी और नस की बीमारियों को जन्म दे रही हैं. सड़क हादसों में हाथ-पांव टूटना आम बात है. बल्कि गड्ढों के चलते बाइक और कार चलाने वाले लोग स्पांडिलाइटिस जैसी बीमारी का शिकार बन रहे हैं. प्रदेश की सड़कों को सुधारने के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने 26 हजार करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है. इस विशेष सहायता राशि से बिहार में ग्रामीण और शहरी इलाकों में सड़कों का जाल बिछाया जाएगा, जिससे लोगों को आवागमन में सुविधा होगी. हालांकि, प्रदेश की जनता को इसका लाभ भी आसानी से मिलता नहीं दिख रहा है.


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दरअसल, बिहार में जमीन के अभाव में राज्य की सात हजार करोड़ की परियोजनाएं अटकी हुई हैं. लगभग डेढ़ दर्जन ऐसी परियोजनाएं हैं, जिसकी मंजूरी दो साल पहले मिली थी. इसमें से कई परियोजनाओं के लिए टेंडर भी निकाले जा चुके हैं. इसके बाद भी जमीन के अभाव में इसका काम शुरू नहीं हो पा रहा है. इन परियोजनाओं की लंबाई लगभग 300 किलोमीटर है. जानकारी के मुताबिक, जमीन के अभाव में पिछले दो साल से ये सड़कें एक इंच भी आगे नहीं बढ़ पाई हैं.


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पथ निर्माण विभाग से मिली जानकारी के अनुसार अमदाबाद-मनिहारी का जीर्णोद्धार और चौड़ीकरण होना है. जमीन नहीं मिलने के कारण एक बार इस एजेंसी को हटाया जा चुका है. दरभंगा-बनवारी पट्टी चार लेन का निर्माण होना है. काम अवार्ड हो चुका है, लेकिन एजेंसी सेकरार जमीन के अभाव में नहीं हो पा रहा है. रामनगर-रोसड़ा की भी निविदा हो चुकी है. लेकिन, जमीन मालिकों को धीमी गति से पैसा दिए जाने के कारण एजेंसी काम शुरू नहीं कर पा रही है.


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