Bihar Politics: बिहार की सियासत में एक बार फिर से भूकंप आ सकता है. दरअसल, बिहार को स्पेशल स्टेट का दर्जा देने से केंद्र सरकार ने साफ इनकार कर दिया है. संसद में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लिखित में जवाब देते हुए बिहार को स्पेशल स्टेट का दर्जा देने से इनकार कर दिया है. उन्होंने कहा कि विशेष राज्य के दर्जे के लिए जिन प्रावधानों को पूरा करना होता है वह बिहार में नहीं है. इस प्रदेश का सियासी पारा चढ़ गया है. राजद अध्यक्ष लालू यादव ने तो इसके लिए सीएम नीतीश कुमार को जिम्मेदार ठहराते हुए उनसे इस्तीफा मांग लिया है. राजद नेता का कहना है कि नीतीश कुमार को केंद्र सरकार से सहयोग वापस ले लेना चाहिए.


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राजद के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने उच्च सदन में बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा के साथ-साथ विशेष पैकेज देने की भी मांग उठाई. उन्होंने कहा कि हमें दोनों चाहिए. इसके लिए उनकी पार्टी संसद से सड़क तक संघर्ष करेगी. अगर सरकार संसद में मानेगी तो ठीक नहीं सड़क पर मांगेंगे. वहीं जेडीयू ने एक दिन पहले ही रविवार (21 जुलाई) को केंद्र सरकार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में इस मुद्दे को उठाया था. जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा था कि हम लोगों की ओर से बार-बार विशेष राज्य की मांग रहेगी, लेकिन जब तक विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलता है, तब तक हमें अतिरिक्त फंड दिया जाए. 


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स्पेशल स्टेटस पर केंद्र से झटका लगने पर बिहार बीजेपी के अध्यक्ष और डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी की प्रतिक्रिया भी सामने आई है. सम्राट चौधरी ने कहा कि एनडीए के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने बिहार को हमेशा विशेष मदद देने का काम किया है. चाहे वो अटल जी की सरकार रही हो या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की सरकार. बिहार को आर्थिक सहयोग की जरूरत है. हम लोगों ने प्रधानमंत्री मोदी जी और केंद्रीय वित्त मंत्री से आग्रह किया है कि बिहार को विशेष आर्थिक मदद की जरूरत है. उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री और केंद्रीय वित्त मंत्री इस पर निर्णय लेंगे. 


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हालांकि, सियासी जानकारों का कहना है कि इस मुद्दे पर नीतीश कुमार की जेडीयू और लालू यादव की राजद एकमत है. कांग्रेस भी मौके का फायदा उठाते हुए हां में हां मिलाने में जुटी है. वहीं केंद्र ने जिस तरह से इस मुद्दे को सिरे से इनकार किया है, उससे बीजेपी फंस सकती है. सियासी पंडितों का कहना है कि नीतीश कुमार को अपने इगो पर चोट पसंद नहीं आती. अगर इस फैसले को उन्होंने अपने आत्मसम्मान से जोड़ लिया तो बिहार के साथ दिल्ली तक की सत्ता कांप सकती है.