Bihar Teacher Vacancy Controversy: बिहार में नई शिक्षक नियमावली का विरोध रुकने का नाम नहीं ले रहा है. अब ये मामला पटना हाईकोर्ट के दरवाजे तक पहुंच गया है. टीईटी शिक्षक संघ की ओर से हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल करके नई शिक्षक नियमावली को रद्द करने की मांग की गई है. इस याचिका में टीचरों की नियुक्ति प्रक्रिया की वैधता को चुनौती दी गई है. उधर इस मामले में प्रदेश के शिक्षक अब नीतीश सरकार से खुली लड़ाई करने के मूड हैं. सरकार की ओर से कार्रवाई की धमकी देने के बाद भी शिक्षकों ने आज से आंदोलन शुरू कर दिया है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

 



शिक्षकों के साथ तिरहुत शिक्षक क्षेत्र से एमएलसी प्रोफेसर संजय कुमार सिंह खड़े हो गए हैं. उन्होंने इस मामले को लेकर राज्यपाल से हस्तक्षेप करने की मांग की है. एमएलसी संजय सिंह ने इस मामले में बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के महासचिव शत्रुघ्न प्रसाद सिंह के साथ बैठक की. बैठक के बाद शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने कहा कि लोकतंत्र में आंदोलन कर्मचारियों का हक है. उन्होंने कहा कि सरकार को जो करना है, कर ले. आंदोलन हर हाल में होकर रहेगा.


एमएलसी प्रोफेसर संजय कुमार सिंह ने कहा कि वह हर हाल में शिक्षकों के साथ खड़े हैं. उन्होंने बताया कि 22 मई से जिला मुख्यालय पर धरना का कार्यक्रम शुरू किया जाएगा. उन्होंने कहा कि मैंने राज्यपाल से आग्रह किया है कि इस मामले में वो हस्तक्षेप करें और सरकार को इस पत्र को तुरंत वापस लेने का निर्देश दें. वहीं बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के महासचिव शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने कहा कि शिक्षकों के आंदोलन के खिलाफ अपर मुख्य शिक्षा सचिव का पत्र, बिहार सरकार की तानाशाही को दर्शाता है. 


ये भी पढ़ें- Bihar: तेजस्वी यादव को सताया जेल जाने का डर! बोले- कभी भी चार्जशीट में मेरा नाम डाल सकती है ED-CBI


उन्होंने सरकार शिक्षकों को डरा-धमकाकर आंदोलन को दबाना चाहती है. उन्होंने आगे कहा कि शिक्षक नहीं झुकेंगे. सरकार को ये करना भारी पड़ेगा. उधर टीईटी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमित विक्रम सहित 20 अन्य लोगों ने पटना हाईकोर्ट में नई नियमावली के खिलाफ एक याचिका दायर की है. इस याचिका में शिक्षकों के नियुक्ति प्रक्रिया की वैधता को चुनौती दी गई है. उन्होंने कहा कि अध्यापक नियमावली 2023 पूरी तरह से और संवैधानिक एवं कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन करने वाली नियमावली है.


उन्होंने कहा कि इस नियमावली को जारी करने में हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच के दिए गए पूर्व के फैसले की भी अनदेखी की गई है और ऐसे कई सारे बिंदु इसमें जोड़े गए हैं, जो पूरी तरीके से असंवैधानिक एवं न्यायिक दृष्टिकोण से अनुचित है. उन्होंने कहा कि हमने कई स्तर पर सरकार से वार्ता करने की कोशिश की. लेकिन जब सरकार एवं शिक्षा विभाग की के द्वारा हमारी बातों को नहीं चुना गया. तब हम लोग मजबूर होकर हाईकोर्ट में आज यह याचिका दाखिल कर रहे हैं. हमें उच्च न्यायालय पर पूरा भरोसा है.