Bihar Politics : बस नीतीश कुमार ना बनें सीएम, भाजपा की बस एक यहीं शर्त
Bihar Politics : भाजपा की मुख्य आपत्ति है कि वह नीतीश कुमार को पुनः मुख्यमंत्री बनने की कोई स्वीकृति नहीं देना चाहते है. उनका दावा है कि इसके बजाय वे जेडीयू से दो डिप्टी मुख्यमंत्रियों को स्थापित करना चाहते हैं. इससे वे नीतीश कुमार को सत्रालुप्त रख सकती हैं और साथ ही अपनी राजनीतिक बाजी में नए कदम उठा सकती हैं.
Bihar Politics : इंडिया ब्लॉक की चौथी बैठक के बाद पटना से लेकर दिल्ली तक राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ी हुई है. सम्राट चौधरी को भाजपा ने दिल्ली तलब किया है तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी 28 दिसंबर को दिल्ली जा रहे हैं. नीतीश कुमार ने 29 दिसंबर को जेडीयू की राष्ट्रीय परिषद की बैठक बुलाई है, जिसमें अध्यक्ष ललन सिंह को हटाने की चर्चाएं चल रही हैं. इस बीच यह भी खबर आ रही है कि भाजपा और जेडीयू के बीच सब कुछ सेट हो चुका है. भाजपा बस यह चाहती है कि मुख्यमंत्री पद पर नीतीश कुमार फिर से विराजमान ना हो. इसके बदले में भाजपा जेडीयू को दो डिप्टी सीएम पद ऑफर कर रही है. उधर नीतीश कुमार की दिली इच्छा 2025 तक मुख्यमंत्री बने रहने की है, लेकिन भाजपा इस पर सहमत नहीं है. अब देखना है कि मुख्यमंत्री पद को लेकर दोनों दलों के बीच में क्या सहमति बन पाती है.
भाजपा नहीं चाहती कि नीतीश फिर बने मुख्यमंत्री
भाजपा की एक शर्त पर नीतीश कुमार का मामला उटका नजर आ रहा है. सूत्रों के मुताबिक भाजपा के साथ नीतीश की सारी बातें हो गई हैं, लेकिन इसमें कुछ समस्याएं हैं. नीतीश को चाहिए कि पहले पार्टी नेताओं की बैठक हो और उन्हें भाजपा की शर्तों का मुताबिक काम करना होगा. जेडीयू के ज्यादातर सांसद-विधायक भाजपा के साथ सहमत हैं, लेकिन नीतीश को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनका मान-सम्मान बना रहे. भाजपा की मुख्य आपत्ति है कि वह नीतीश कुमार को पुनः मुख्यमंत्री बनने की कोई स्वीकृति नहीं देना चाहते है. उनका दावा है कि इसके बजाय वे जेडीयू से दो डिप्टी मुख्यमंत्रियों को स्थापित करना चाहते हैं. इससे वे नीतीश कुमार को सत्रालुप्त रख सकती हैं और साथ ही अपनी राजनीतिक बाजी में नए कदम उठा सकती हैं.
नई उम्मीद के साथ होगा नए समीकरणों का आरंभ
विपक्ष में नीतीश कुमार ने साफ तौर पर यह बयान दिया है कि वह 2025 तक मुख्यमंत्री पद पर बने रहना चाहते हैं. इससे साफ होता है कि उनका उद्देश्य चुनावी मैदान में चुनाव लड़ना है और उन्हें बिहार की जनता का विश्वास दिलाना है. उनकी यह स्थिति भाजपा के साथ मुख्यमंत्री पद की बातचीत को रोकने में बड़ी बाधा डाल सकती है. साथ ही बिहार में खिचड़ी और खरना का प्रसाद हमेशा ही राजनीतिक उत्साह को बढ़ाता है. इस बार भी लोग उम्मीद कर रहे हैं कि नए समीकरणों का आरंभ होगा और बिहार को नई दिशा में ले जाएगा. खरमास के बाद राजनीतिक गतिविधियों में वृद्धि होने की संभावना है और जनता को एक नए और सकारात्मक दृष्टिकोण का अनुभव हो सकता है.
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