Operation Commando: बीजेपी का `ऑपरेशन कमांडो`, करीब हर महीने इस तरह नेताओं की बढ़ाई जा रही सुरक्षा
बिहार में एक के बाद एक करीब हर महीने राजनीतिक दलों के नेताओं की सुरक्षा को बढ़ाया जा रहा है. बता दें कि नीतीश कुमार से भाजपा का साथ छुटा तो अब वह अन्य दलों के नेताओं को साथ लाने की कवायद में लगी हुई है.
Operation Commando: बिहार में एक के बाद एक करीब हर महीने राजनीतिक दलों के नेताओं की सुरक्षा को बढ़ाया जा रहा है. बता दें कि नीतीश कुमार से भाजपा का साथ छुटा तो अब वह अन्य दलों के नेताओं को साथ लाने की कवायद में लगी हुई है. लोकसभा का चुनाव 2024 में होना है इससे पहले भाजपा बिहार में अपनी जमीन मजबूत करने और नीतीश की कमी को पूरा करने की कोशिश में जुटी हुई है. भाजपा ने बिहार में 40 में से 36 सीटों पर जीत का लक्ष्य रखा है जबकि भाजपा को भी पता है कि महागठबंधन के दल एक साथ खड़े हैं ऐसे में भाजपा की यह कोशिश तब तक कामयाब नहीं हो सकती जब तक भाजपा बिहार में अपने नए सहयोगी ना तलाश ले.
ऐसे में बिहार में भाजपा उन पार्टी के नेताओं को एनडीए के साथ लाने की कोशिश में है जिनका अपनी जाति के वोटरों पर पकड़ मजबूत हो. बता दें ऐसे में राजनीति के जानकार बता रहे हैं कि बिहार में भाजपा की तरफ से ऑपरेशन कमांडो भी इसी कवायद की एक कड़ी है जिसमें सबसे पहले जनवरी में लोजपा(R) के नेता चिराग पासवान को जेड कैटेगरी की सुरक्षा मुहैया कराई गई फिर एक महीने बाद ही वीआईपी पार्टी के मुकेश सहनी को वाई प्लस श्रेणी की सुरक्षा दी गई वहीं इसके बाद मार्च के महीने में नीतीश की पार्टी जदयू का दामन छोड़कर अपनी पार्टी बना चुके उपेंद्र कुशवाहा को वाई श्रेणी की सुरक्षा दी गई जिसे अब मई में बढ़ाकर जेड सिक्योरिटी किया जा रहा है.
बता दें कि ये तीनों नेता अपनी अपनी जाति के मतदाताओं के बीच अपनी खासी पकड़ रखते हैं और साथ ही आपको बता दें कि ये अगर भाजपा के साथ आ गए तो नीतीश कुमार और महागठबंधन दोनों को इसका भारी नुकसान होगा. ऐसे में इन नेताओं को मिली सुरक्षा को राजनीति के जानकार भाजपा का माइंड गेम बता रहे हैं. ताकि ये नेता मिलकर भाजपा को 2024 में जीत का रास्ता साफ कर सकें.
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वैसे आईबी की रिपोर्ट के आधार पर नेताओं को मिलने वाली इन सुरक्षा घेरों की खबरों को देखें तो आपको यह पूर्णतः सामान्य लगेगा. लेकिन आप साफ तौर पर तो देखेंगे तो आपको पता चल जाएगा की पिछले कुछ समय में चुनाव का मौसम करीब आते ही नेताओं को सुरक्षा धड़ाधड़ दी जा रही है.वैसे अबी 2024 में लोकसबा चुनाव होना है ऐसे में बिहार के नेताओं की सुरक्षा इस तरह धड़ाधड़ दिया जाना यह क्यों हो रहा है तो इसके पीछे की एक वजह यही है कि नीतीश कुमार का साथ छोड़ने के बाद से भाजपा के पास बिहार में अब अपनी ताकत बढ़ाने के लिए इन नेताओं को आगे लाना ही एक विकल्प है. ऐसे में बिहार में भाजपा का फोकस आपको इन नेताओं की दी जा रही सुरक्षा से ही पता चल जाएगा.
बता दें कि इससे पहले जब पंजाब और यूपी में 2022 में विधानसभा चुनाव हो रहे थे तो केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से कई नेताओं की सुरक्षा इन राज्यों में या तो बढ़ाई गई या उन्हें सुरक्षा घेरा प्रदान किया गया. इससे ठीक पहले 2012 में तो पश्चिनम बंगाल चुनाव से ठीक पहले भाजपा के नेताओं को थोक के भाव में सुरक्षा घेरा प्रदान किया गया था. वहीं बिहार में ही 2020 के विधानसभा चुनाव के दौरान पप्पू यादव और जीतनराम मांझी की सुरक्षा में इजाफा किया गया था.
ऐसे में इन नेताओं को मिल रही सुरक्षा से जनता के बीच इनका भौकाल भी बढ़ता है. बिहार में तो नेताओं को मिल रही सामान्य सुरक्षा भी वहां के वोटरों को आकर्षित करती है और बड़ा नेता बना देती है ऐसे में केंद्र की यह वीआईपी सुरक्षा व्यवस्था इन नेताओं के भौकाल को कितना बढ़ा देता है यह आप समझ ही सकते हैं. आपको बता दें कि अब उपेंद्र कुशवाहा भी चिराग पासवान की तरह ही 33 जवानों की सुरक्षा घेरे में रहेंगे. वहीं चिराग पासवान के पास इतना ही सुरक्षा घेरा जनवरी से ही बना हुआ है. जबकि मुकेश सहनी की सुरक्षा में भी 11 जवान लगे हुए हैं.