Bihar Politics: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राइट हैंड कहे जाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह अब भाजपाई हो गए हैं. 11 मई को दिल्ली में केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने उन्हें बीजेपी की सदस्यता दिलाई थी. इसी के तहत पहले सम्राट चौधरी को प्रदेश की कमाई दी गई थी. माना जा रहा है कि आरसीपी सिंह के सहारे बीजेपी, नीतीश कुमार के लव-कुश वोटबैंक में सेंध लगाने की कोशिश करेगी. पार्टी ने कुशवाहा वोटबैंक को साधने के लिए सम्राट चौधरी को पहले ही प्रदेश की कमान सौंप रखी थी, अब आरसीपी सिंह को भी पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है. 


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बीजेपी के लव-कुश कभी नीतीश के विश्वासपात्र हुआ करते थे. दोनों ने एक लंबे अरसे तक नीतीश के साथ काम किया है इसलिए वो नीतीश कुमार की ताकत और कमजोरी दोनों को अच्छी तरह से जानते हैं. बीजेपी में आने के बाद अब दोनों नीतीश के खिलाफ धुंआधार बल्लेबाजी कर रहे हैं. बतौर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी अब नीतीश को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ते. वहीं बीजेपी ज्वाइन करते ही आरसीपी सिंह ने नीतीश के खिलाफ घेराबंदी शुरू कर दी है. 


लव-कुश वोटबैंक का प्रभाव


बता दें कि बिहार में 10 से 11 प्रतिशत के बीच लव-कुश वोट बैंक है और नीतीश कुमार की ताकत भी यही मानी जाती है. इसी वोटबैंक की दम पर नीतीश कुमार 2005 से लगातार सीएम बन रहे हैं. हालांकि अब इस वोटबैंक पर बीजेपी की नजर है. बीजेपी को लगता है कि सम्राट और आरसीपी के जरिए लव-कुश वोट बैंक में सेंधमारी करके नीतीश कुमार को बिहार के राजनीतिक मैदान से आउट किया जा सकता है. 


आरसीपी सिंह ने शुरू की घेराबंदी


वहीं आरसीपी सिंह ने बीजेपी ज्वाइन करते ही जदयू में सेंधमारी शुरू कर दी है. आरसीपी ने हाल ही में जदयू के शिक्षा प्रकोष्ठ के पूर्व अध्यक्ष डॉ कन्हैया सिंह को भी बीजेपी में खींच लिया है. कन्हैया सिंह अपने साथ बौद्धिक वर्ग का एक बड़ा वोटबैंक लेकर आए हैं. माना जाता है कि नेताओं से ज्यादा बौद्धिक लोग ही वोटरों को प्रभावित करते हैं. किसी जमाने में ये लोग नीतीश के लिए वोट मांगते थे अब बीजेपी के कार्यों का प्रचार-प्रसार करेंगे.


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आरसीपी सिंह का कद बढ़ना तय 


आरसीपी सिंह को बीजेपी में शामिल कराने के पीछे मोदी-शाह का बड़ा रोल है. कहा जा रहा है कि प्रदेश नेतृत्व के ना चाहने के बाद भी उन्हें बीजेपी में शामिल कराया गया है. इतना ही नहीं उन्हें प्रदेश कार्यसमिति में विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में बुलाया गया. केंद्रीय नेतृत्व से नजदीकी के चलते कहा जा रहा है कि जिस तरीके से सम्राट चौधरी को बड़ी जिम्मेदारी दी गई है. उसी तर्ज पर आने वाले चुनाव के मद्देनजर आरसीपी सिंह की भूमिका भी बढ़ने वाली है.