Lok Sabha Election 2024: बीजेपी के लिए लोकसभा की 72 सीटों पर मुश्किल हो गई राह, जानिए कर्नाटक का किला गंवाना कैसे पड़ेगा भारी?
कर्नाटक में फतह हासिल करना कांग्रेस के लिए लोकसभा चुनाव में बूस्टर डोज का काम करेगी. वहीं कर्नाटक हारते ही बीजेपी का दक्षिण भारत से पूरी तरह से सफाया हो चुका है.
BJP Challenges For 2024: कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी को तगड़ा झटका लगा है, वहीं कांग्रेसी खेमा जहां काफी खुश है. माना जा रहा है कि कर्नाटक में फतह हासिल करना कांग्रेस के लिए लोकसभा चुनाव में बूस्टर डोज का काम करेगी. वहीं कर्नाटक हारते ही बीजेपी का दक्षिण भारत से पूरी तरह से सफाया हो चुका है. हालांकि, ये कोई नई बात नहीं है. तकरीबन साढ़े तीन दशक के इतिहास में हर बार ऐसा ही हुआ है, जब कोई सरकार सरकार अगली बार सत्ता में न लौटी हो लेकिन अब बीजेपी की राह लोकसभा की 72 सीटों पर काफी कठिन हो गई है.
दरअसल, बीजेपी इस साल तीन राज्यों की सत्ता से बाहर हो चुकी है. पहले उसे बिहार में नीतीश कुमार ने झटका दिया फिर हिमाचल के पहाड़ों पर कमल मुरझा गया और अब कर्नाटक का किला भी छिन गया. 2024 के लिहाज से ये तीनों राज्य काफी महत्वपूर्ण थे. इन तीन राज्यों में ही लोकसभा की कुल 72 सीटें आती हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में बिहार में बीजेपी ने नीतीश के साथ मिलकर 40 में से 39 सीटें जीती थीं. हिमाचल की सभी चारो सीटों पर कमल खिला था. तो वहीं कर्नाटक की 28 में से 25 सीटों पर जीत दर्ज की थी.
दक्षिण से बीजेपी का सूपड़ा साफ
दक्षिण भारत में 5 प्रमुख राज्य हैं. इनमें कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, केरल और तेलगांना का नाम शामिल हैं. कर्नाटक अलावा किसी भी राज्य में बीजेपी अपनी दम पर सरकार नहीं बना सकी है. तमिलनाडु में DMK ने उसे सत्ता से बाहर कर दिया था तो आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस की सरकार है. केरल में सीपीएम के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार का हिस्सा है. जबकि तेलंगाना में BRS की सरकार है. अभी तक कर्नाटक के सहारे बीजेपी दक्षिण में अपना विस्तार कर रही थी लेकिन अब वो उम्मीद भी खत्म हो गई है.
ध्रुवीकरण से भी कोई फायदा नहीं
कर्नाटक का किला बचाने के लिए बीजेपी पिछले एक साल से काम कर रही थी. हिंदुओं को एकजुट करने के लिए भगवा पार्टी ने हलाला, हिजाब और अजान के बाद बजरंगबली का मुद्दा भी उछाला लेकिन कुछ काम नहीं आया. इससे पहले पश्चिम बंगाल में भी 'जय श्री राम' का नारा असफल हो गया था. इससे एक बात साफ हो गई है कि अहिन्दी भाषी प्रदेशों में देवी-देवता, मंदिर-मस्जिद और हिन्दू-मुस्लिम के बल पर चुनावी वैतरणी पार करना संभव नहीं है.
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मोदी मैजिक नहीं देखने को मिला
2014 के बाद से देश में अधिकतर विधानसभाओं के चुनाव मोदी के नाम पर ही लड़े गए. हालांकि, पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी इस धारणा को ध्वस्त कर चुकी थीं. अब कर्नाटक में भी मोदी मैजिक देखने को नहीं मिला. कर्नाटक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीजेपी को जीत दिलवाने के लिए लिए जी-जान लगा दिया था. चुनाव प्रचार के दौरान पीएम मोदी पूरे सात दिनों में 17 रैलियों में शामिल हुए और पांच रोड शो भी किए. पीएम मोदी की इतनी मेहनत के बाद सत्ता में वापसी तो दूर बीजेपी अपना पुराना प्रदर्शन भी नहीं दोहरा सकी.