पटना: बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की 70वीं प्रारंभिक परीक्षा (पीटी) रद्द करने की मांग को लेकर अभ्यर्थियों ने रविवार की शाम पटना की सड़कों पर प्रदर्शन किया. इस दौरान प्रशासन द्वारा अभ्यर्थियों पर वाटर कैनन से पानी झोड़ने के साथ साथ लाठी चार्ज भी किया गया. इस दौरान प्रशांत किशोर के नाम की सबसे ज्यादा चर्चा हुई. दरअसल अभ्यर्थी प्रशांत किशोर के नेतृत्व में ही आज आक्रोश मार्च लेकर निकले थे. इस दौरान लाठी चार्ज के दौरान वो वहां से गायब हो गए. हालांकि खबर आ रही है विरोध के बाद कल छात्रों का डेलीगेशन चीप सेक्रेटरी से मुलाकात करने वाली है.


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अब ऐसे में सवाल उठता है कि छात्रों का आंदोलन जब शांतिपूर्ण चल रहा था तब उनके उपर लाठीचार्ज क्यों किया गया.  क्या आंदोलन को असमाजिक तत्वों ने अपने कब्जे में ले रखा था. बीपीएससी डेलीगेशन ने जब बात करने की पहल की, तो अभ्यर्थी पीछे क्यों हो गए. अब ऐसे में अब कहा जा रही है कि अभ्यर्थियों के आंदोलन का राजनीतिकरण किया जा रहा है. अब लोगों का कहना है कि छात्रों को आंदोलन के लिए दिल्ली के किसान आंदोलन से सीखना चाहिए. कैसे लगभग साल भर से ज्यादा होने को है लेकिन आज जितना पटना में बवाल हुआ वैसा कभी नहीं हुआ.


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इस पहले प्रशांत किशोर ने गांधी मैदान में अभ्यर्थियों को संबोधित करते हुए कहा, "एक दिन नारे लगाने से कुछ नहीं होने वाला है. बिहार में छात्रों का जीवन सालों से बर्बाद होते आ रहा है. यह लड़ाई लंबे समय तक चलेगी और इसे हर हाल में अंजाम तक पहुंचाना होगा." किसान आंदोलन का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि दिल्ली में किसान सालों से डेरा डालकर बैठे थे, तभी कुछ हुआ. उन्होंने कहा, 'बिहार में पेपर लीक, नौकरियों में भ्रष्टाचार और डोमिसाइल नीति में बदलाव को जड़ से खत्म करना है, तो बिहार के सभी छात्रों को एक साथ होकर लड़ाई लड़नी होगी.'


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