Bihar Politics: बिहार में लोकसभा चुनाव बीत जाने के बाद सियासी पारा डाउन नहीं हुआ है, इसका सबसे बड़ा कारण है उपचुनाव. आम चुनाव के बाद अब सभी की निगाहें विधानसभा के उपचुनावों पर है. आने वाले दिनों में प्रदेश की 4 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है. इस उपचुनाव में बीजेपी और आरजेडी के बीच मुकाबला माना जा रहा है. यह फाइट सीटों के हार-जीत की नहीं बल्कि विधानसभा में नबंर वन पोजीशन की है. दोनों ही पार्टियों के बीच इस उपचुनाव में नंबर वन पार्टी बनने की होड़ मची हुई है. बिहार विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी का इम्तिहान होना है. बीजेपी को राज्य में अपने सियासी ओहदे को बरकरार रखने के लिए उपचुनाव में मशक्कत करनी होगी तो आरजेडी को अपने कोटे की सीटों को हरहाल में जीतना होगा? हालंकि अभी यह तय नहीं हुआ है कि गठबंधन के कौन साथी कहां से लडेंगे? यह भी तय नहीं कि क्या 2020 विधानसभा चुनाव के तर्ज पर ही लडेंगे.


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दरअसल, जनवरी 2024 में हुए सत्ता परिवर्तन से बिहार विधानसभा का नंबर गेम बदल दिया है. राजद के कई विधायक एनडीए के पक्ष में आ गए थे, तो एनडीए के भी कुछ विधायक महागठबंधन के साथ चले गए थे. उसके बाद लोकसभा चुनाव में सूबे के चार विधायकों के सांसद बनने और एक विधायक के इस्तीफे के चलते नंबर गेम बड़ी तेजी से बदला. हालांकि, राजद के बागी विधायक अभी तक उनके ही माने जा रहे हैं. इसके बावजूद बीजेपी अब विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी बन गई है. आरजेडी के विधायकों की संख्या 77 रह गई तो वहीं बीजेपी विधायकों की संख्या 78 है. इसी तरह से बीमा भारती के त्याग पत्र के कारण जेडीयू के 44 विधायक बचे हैं. 


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राजद अपने तीन विधायकों चेतन आनंद, प्रह्लाद यादव और नीलम देवी की सदस्यता समाप्त कराना चाहती है. इस पर विधानसभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव का फैसला आना बाकी है. फिलहाल अभी ये राजद के विधायक ही कहलाते रहेंगे. इस उपचुनाव में अगर राजद पार्टी बेला ,रामगढ़ और इमामगंज विधानसभा सीटों पर विजय हासिल करती है तो इनकी संख्या 80 पहुंच जाएगी. फिर बीजेपी 78 विधायकों के साथ दूसरे नंबर पर पहुंच जाएगी. वहीं इस जीत के बाद भी बीजेपी नंबर वन पार्टी रह सकती है. ऐसा तब होगा जब राजद के तीनों विधायकों नीलम देवी, चेतन आनंद और प्रहलाद यादव की सदस्यता रद्द हो जाए.