Bihar Politics: बिहार की राजधानी पटना में मेट्रो चलाने का काम तेजी के साथ जारी है. पटना मेट्रो के दो कॉरिडोर पर काम चल रहा है. पहला कॉरिडोर दानापुर से खेमनीचक तक है और दूसरा कॉरिडोर पटना स्टेशन से न्यू आईएसबीटी तक है. अब बिहार सरकार ने पटना एयरपोर्ट और तख्त हरमंदिर साहिब गुरुद्वारा को मेट्रो से जोड़ने का निर्णय लिया है. इसके लिए जल्द ही डीपीआर बनेगा. अगले साल जुलाई तक पटना में मेट्रो दौड़ाने का लक्ष्य है. सबसे पहले मलाही पकड़ी से न्यू आइएसबीटी तक मेट्रो चलेगी. खास बात ये है कि अगले साल ही बिहार विधानसभा चुनाव होना है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चाहते हैं कि विधानसभा चुनाव से पहले मेट्रो पटरी पर दौड़ने के लगे. इसके लिए वे बीच-बीच में हो रहे कार्य को देखने भी जाते हैं. 


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हाल ही में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निरीक्षण के बाद मेट्रो अधिकारियों को काम में और तेजी लाने का निर्देश दिया गया है. सीएम के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए न्यू आईएसबीटी मेट्रो के डिपो में बैलिस्टिक ट्रैक बिछाने का काम अगस्त से शुरू हो जाएगा. इस काम के लिए चयनित एजेंसी द्वारा 1200 टन लोहे की व्यवस्था की जा रही है. ताजा प्रगति रिपोर्ट के अनुसार, सबसे पहले मलाही पकड़ी से न्यू आइएसबीटी तक पांच एलिवेटेड स्टेशनों के बीच ही सबसे पहले मेट्रो रेल को दौड़ाने की योजना है. इसमें मलाही पकड़ी, खेमनीचक, भूतनाथ, जीरो माइल और न्यू आइएसबीटी मेट्रो स्टेशन शामिल हैं. 


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प्रायोरिटी कोरिडोर का 75 प्रतिशत सिविल वर्क पूरा हो चुका है. अधिकारियों के अनुसार, सब कुछ ठीक रहा तो 6 महीने से एक साल के अंदर इस कार्य को पूरा कर लिया जाएगा. पूरी संभावना है कि विधानसभा चुनाव से पहले पटना मेट्रो का ट्रायल रन हो सकता है. विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री इसे अपने विकास प्रोजेक्ट के रूप में पेश करेंगे. चुनाव में नीतीश कुमार को अपना काम दिखाने के लिए बहुत कुछ हो जाएगा. वहीं लालू यादव के 15 साल में ऐसा कोई काम नहीं हुआ, जिसे राजद भी प्रोजेक्ट कर सके. 


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हालांकि, मेट्रो के सहारे चुनाव में जीत मिलेगी, इसकी कोई गारंटी नहीं है. बिहार के पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव ने 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव से पहले आनन-फानन में लखनऊ मेट्रो का उद्घाटन कर दिया था. इसके बाद भी उन्हें चुनाव में बीजेपी के हाथों करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा. 2017 के बाद से 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले तक अखिलेश को तकरीबन हर चुनाव में बीजेपी के हाथों करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था.