Bihar Politics: बिहार में अगले साल होने वाले विधानसभा के लिए बीजेपी का पूरा फोकस संगठन को मजबूत करने पर है. इसी कड़ी में गुरुवार (25 जुलाई) की रात को प्रदेश इकाई में बड़ा बदलाव हो गया. प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी से सम्राट चौधरी को उतारकर दिलीप जायसवाल को बिठा दिया गया. वह इस वक्त बिहार सरकार में राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री हैं. दिलीप जायसवाल बिहार विधान परिषद के सदस्य हैं. कहा जा रहा है कि जातीय गणित सेट करने वाला दांव फेल होने के बाद बीजेपी अपनी पुरानी रणनीति पर लौट आई है. दरअसल, इससे पहले बिहार बीजेपी की कमान सम्राट चौधरी के हाथ में थी. सम्राट कुशवाहा बिरादरी से आते है. पार्टी ने उनको उस वक्त प्रदेश अध्यक्ष बनाया था, जब नीतीश कुमार एनडीए छोड़कर महागठबंघन के साथ चले गए थे. 


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पार्टी को उम्मीद थी कि वह (सम्राट चौधरी) नीतीश कुमार के लव-कुश वोटबैंक में तोड़फोड़ करेंगे और कुश (कुशवाहा) को अपनी तरफ लाएंगे. लोकसभा चुनाव में वह पूरी तरह से फ्लॉप साबित हुए. वह अपनी जाति के वोटर को बीजेपी या एनडीए में लाना तो दूर की बात राजद में जाने से भी नहीं रोक पाए. वहीं दूसरी ओर बीजेपी का कोर वैश्य वोटर भी पार्टी में अपनी उपेक्षा होते देख खिसक गया. बीजेपी रणनीतिकार अभी भी पिछड़ा या दलित से ही प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की कवायद कर रहे थे, लेकिन अंतिम समय में पार्टी ने अपना निर्णय बदलते हुए पिछड़ा और पिछड़ा में भी वैश्य जाति से आने वाले डॉ. जायसवाल का प्रदेश अध्यक्ष बनाया.


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दिलीप जायसवाल के कंधों पर पार्टी के दिवंगत नेता सुशील मोदी की विरासत को आगे बढ़ाने की बड़ी कठिन जिम्मेदारी है. बिहार में जिस तरह के राजनीतिक समीकरण हैं, उसमें भाजपा को मजबूत स्थिति में खड़ा करने में सुशील मोदी का बड़ा योगदान रहा. बिहार में वैश्य समाज की 27 प्रतिशत आबादी है. सुशील मोदी की वजह से वैश्य समाज बीजेपी का कोर वोटर बन गया था. हालांकि, इस लोकसभा चुनाव से पहले सुशील मोदी का निधन हो गया था और पार्टी को इसका खामियाजा भी उठाना पड़ा. लोकसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय वैश्य महासभा के प्रदेश महासचिव संजय जायसवाल ने कहा था कि अभी तक चुनाव में हमें उचित भागीदारी नहीं मिलती है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं चलने वाला है. इसका नतीजा ये हुआ कि बीजेपी का परंपरागत वोट खिसक गया था.


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हालांकि, दिलीप जायसवाल में संगठन चलाने के सारे गुण मौजूद हैं. सीमांचल के साथ साथ नॉर्थ ईस्ट में भी उनकी अच्छी पकड़ है. बिहार में ओबीसी वोटरों की संख्या कुल वोटरों का करीब 63 फीसदी है. इनमें ओबीसी 27.13 और अति पिछड़ा वर्ग के वोटरों की संख्या 36.01 है. इन वोटरों को साधने के लिए दिलीप जायसवाल को नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है.