ED vs CBI: आजकल देश में एक नाम बहुत सुनाई देता है, वह है ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय. राजद नेता तेजस्वी यादव को आज (11 अप्रैल) को एक बार फिर से ईडी के सामने पेश होना पड़ा. उनसे रेलवे में नौकरी के बदले जमीन घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में पूछताछ की गई. इसी मामले पिछले महीने सीबीआई ने भी उनसे पूछताछ की थी. अब सवाल ये उठता है कि आखिर ईडी और सीबीआई में अंतर क्या है? दोनों केंद्रीय एजेंसियां क्या काम करती हैं और दोनों एजेंसियों के अधिकार क्या-क्या हैं? इसके अलावा विपक्षी नेता सीबीआई की अपेक्षा ईडी से क्यों ज्यादा डरते हैं? इन तमाम सवालों के जवाब देने से पहले बता दें कि तेजस्वी अकेले नहीं हैं, जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं और जांच के दायरे से गुजरना पड़ा रहा है. विपक्ष के कई नेता ईडी और सीबीआई से नजर आ रहे हैं. 


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अब लौटते हैं सवालों पर... तो ईडी और सीबीआई, दोनों ही केंद्र की जांच एजेंसियां हैं. दोनों के पास छापा मारने का अधिकार होता है. हालांकि दोनों एजेंसियों को अलग-अलग अधिकार प्राप्‍त हैं. ईडी खासतौर पर आर्थिक गड़बड़ी पर फोकस करती है, जबकि सीबीआई क्राइम से लेकर तमाम तरह की इन्‍वेस्टिगेशन करती है.


प्रवर्तन निदेशालय (ED) क्या है?


मनी लॉन्ड्रिंग संबंधी मामलों की जांच करने के लिए प्रवर्तन निदेशालय यानी ED की स्थापना 1 मई 1956 को हुई थी. पहले इसका नाम ‘प्रवर्तन इकाई’ था, जो 1957 में बदलकर ‘प्रवर्तन निदेशालय’ कर दिया गया. 1960 में इसका प्रशासनिक नियंत्रण आर्थिक मामलों के विभाग से राजस्व विभाग के पास आ गया. मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामलों में यह एजेंसी PMLA कानून के तहत काम करती है. 
 
सीबीआई क्या है?


ईडी की तरह सीबीआई भी केंद्र के आधीन जांच एजेंसी है. सीबीआई की स्थापना साल 1963 में हुई थी. यह कार्मिक विभाग, कार्मिक पेंशन तथा लोक शिकायत मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन कार्यरत एक प्रमुख जांच एजेंसी है. भारत सरकार के ऑर्डर पर सीबीआई, देश के किसी भी कोने में जांच कर सकती है. ये मुख्य रूप से भ्रष्टाचार, हत्या और घोटालों  के मामलों की जांच करती है. 


ED और CBI में क्या अंतर है?


दोनों ही केंद्रीय जांच एजेंसियां हैं. दोनों एजेंसियां भारत के किसी भी हिस्से में जांच कर सकती हैं. लेकिन दोनों की जांच की प्रक्रिया में काफी अंतर है. इडी सिर्फ मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामलों पर कार्रवाई करती है, जबकि सीबीआई किसी मामले की जांच कर सकती है. इसके अलावा सीबीआई को राज्य सरकार से अनुमति लेनी होती है, जबकि ईडी को इसकी जरूरत नहीं होती.


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ED से क्यों ज्यादा डरता है विपक्ष?


ईडी को राज्य सरकार की इजाजत नहीं लेनी होती है, इसीलिए विपक्षी राज्यों में भी कई नेता ईडी की जांच का सामना कर रहे हैं. इसके अलावा सीबीआई अपनी जांच भारतीय दंड संहिता (CRPC) की तहत ही करती है, जबकि ईडी के पास PMLA, FEOA और FEMA जैसे अंतरराष्ट्रीय मानकों के विशेष कानून हैं.