Prashant Kishor: चुनाव के महारथी प्रशांत किशोर ने कैसे कर दी इतनी बड़ी गलती? जन सुराज के पहले उम्मीदवार पर ही फंस गया पेंच
Prashant Kishor News: बतौर पार्टी संयोजक पीके ने पहले ही चुनाव में बड़ी गलती कर दी और उनका चुनाव प्रबंधन फेल साबित हो गया. पीके ने तरारी सीट से एसके सिंह को खड़ा कर दिया, जबकि वो बिहार के वोटर ही नहीं हैं.
Prashant Kishor News: चुनावी रणनीतिकार के रूप में प्रशांत किशोर ने खूब नाम कमाया. नरेंद्र मोदी अगर आज प्रधानमंत्री हैं तो इसमें प्रशांत किशोर का बड़ा योगदान है. उन्होंने एमके स्टालिन को सीएम बनाया. ममता बनर्जी और नीतीश कुमार को भी चुनाव जितवाया. आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल के लिए भी काम किया है. इतना ही नहीं जब कांग्रेस के लिए काम किया तो उसे भी जीत मिली. हालांकि, पीके खुद एक राजनेता के रूप में ज्यादा सफल नहीं हो सके. दूसरे दलों में जब दिल नहीं लगा अपनी खुद की पार्टी बना ली. हालांकि, बतौर पार्टी संयोजक उन्होंने पहले ही चुनाव में बड़ी गलती कर दी और उनका चुनाव प्रबंधन फेल साबित हो गया.
पीके की गलती के कारण तरारी सीट से जन सुराज प्रत्याशी लेफ्टिनेंट जनरल एसके सिंह की उम्मीदवारी फंस गई है. दरअसल, पीके ने तरारी सीट से एसके सिंह को खड़ा कर दिया, जबकि वो बिहार के वोटर ही नहीं हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में उन्होंने दिल्ली में वोट डाला था. दिल्ली की वोटर लिस्ट में उनका नाम है. मतदाता सूची में उनके नाम को लेकर जिला प्रशासन ने सवाल उठाया है. इस पर प्रशांत किशोर ने कहा कि ये बड़ा अजीब नियम है कि बिहार का कोई नागरिक किसी दूसरे राज्य में वोटर होने के कारण चुनाव नहीं लड़ सकता.
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अब प्रशांत किशोर ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाया है. पीके ने कहा कि सेना के पूर्व उप-प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत) एस के सिंह को आगामी उपचुनाव में जन सुराज उम्मीदवार के तौर पर लड़ने से रोकने की कोशिशें चल रही हैं. उन्होंने कहा कि संबंधित अधिकारियों ने लेफ्टिनेंट जनरल सिंह का नाम मतदाता सूची में नहीं होने पर आपत्ति जताई है. क्या ऐसे व्यक्ति की साख पर कोई संदेह हो सकता है, जिसने सियाचिन में एक ब्रिगेड का नेतृत्व किया हो और वह बिहार से सेना का उप-प्रमुख बनने वाला केवल दूसरा व्यक्ति हो. पीके ने पूछा कि संबंधित अधिकारियों ने लेफ्टिनेंट जनरल सिंह का नाम मतदाता सूची में नहीं होने पर आपत्ति जताई है. क्या ऐसे व्यक्ति की साख पर कोई संदेह हो सकता है, जिसने सियाचिन में एक ब्रिगेड का नेतृत्व किया हो और वह बिहार से सेना का उप-प्रमुख बनने वाला केवल दूसरा व्यक्ति हो.
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