इंडिया ब्लॉक की चौथी बैठक में भले ही नीतीश कुमार को निराशा हाथ लगी पर एक बात तय हो गई कि पटना में एक बार फिर विपक्षी नेताओं का बड़ा जमावड़ा होने जा रहा है. 30 जनवरी, जिस दिन गांधीजी की हत्या की गई थी, उसी दिन पटना के गांधी मैदान में इंडिया ब्लॉक की पहली बड़ी रैली का आयोजन किया जा रहा है. इस रैली में विपक्षी गठबंधन के सभी प्रमुख नेता शामिल होंगे. इंडिया ब्लॉक की बैठक में भाकपा माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने 30 जनवरी को गांधी मैदान, पटना में रैली करने का प्रस्ताव दिया, जिस पर अधिकांश सदस्यों ने सहमति जताई. पटना के बाद करीब 8 से 10 शहरों में भी इसी तरह की बड़ी रैली करने का भी प्रस्ताव है. इससे पहले इसी साल 23 जून को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर पटना में विपक्षी नेताओं का बड़ा जमावड़ा हुआ था. अब पटना में विपक्षी नेताओं का यह दूसरा बड़ा जमावड़ा होगा.


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इंडिया ब्लॉक के नेताओं की दलील है कि रैली के लिए 30 जनवरी का दिन इसलिए तय किया गया है कि यह न केवल बापू की हत्या से जुड़ा दिन है, बल्कि यह आरएसएस से भी जुड़ा हुआ है. राजद नेता मनोज झा का कहना है, गांधीजी की हत्या जिसने की थी, उसका किस संगठन से संबंध था. हम रैली कर लोगों को बताएंगे कि गांधीजी के हत्यारे आज कहां से कहां पहुंच गए. सत्ता शिखर तक पहुंच गए हैं. हालांकि मनोज झा ने यह भी कहा कि एक दो दिनों में रैली को लेकर तस्वीर साफ हो जाएगी.


इंडिया ब्लॉक की चौथी बैठक के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मीडिया से बातचीत में कहा था, 8 से 10 संयुक्त रैलियां करने का प्रस्ताव है. हमने तय किया है कि लोकतंत्र को बचाने के लिए मिलजुलकर लड़ना होगा. 30 जनवरी को पटना में रैली करने से पहले 22 दिसंबर को विपक्षी सांसदों के निलंबन के विरोध में भी विरोध प्रदर्शन किया जाएगा. यह विरोध प्रदर्शन पूरे देश में आयोजित किया जाएगा. 22 दिसंबर को विरोध प्रदर्शन से पहले 21 दिसंबर को संसद परिसर में विपक्षी नेताओं की बैठक होगी और उसके बाद मार्च निकाला जाएगा.


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बैठक में तय किया गया कि 31 दिसंबर से पहले सीट शेयरिंग से जुड़े विवादों को सुलझा लिया जाना चाहिए. राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी यही बात कही. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी कहा कि अगर भाजपा और पीएम मोदी से मुकाबला करना है तो 31 दिसंबर से पहले तक सीट शेयरिंग का मसला सुलझा लिया जाना चाहिए. कई वरिष्ठ नेताओं ने दलील दी कि अब बहुत लेट हो गया है, इ​सलिए सीट शेयरिंग का मसला जल्द से जल्द हल किया जाना चाहिए.