Bihar Politics: बिहार विधानसभा में फ्लोर टेस्ट जीतने के बाद नीतीश सरकार फ्रंट फुट पर आ गई है. मुख्यमंत्री की कड़े निर्देश के बाद भी उनकी पार्टी के ही कुछ विधायकों ने दगाबाजी कर दी. फ्लोर टेस्ट के दौरान डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने साफ कहा था कि सभी बागियों का जल्द ही इलाज किया जाएगा. अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से 'ऑपरेशन इलाज' शुरू हो चुका है. बागी विधायकों के खिलाफ कार्रवाई शुरू हो चुकी है और इसकी शुरुआत जेडीयू विधायक बीमा भारती से हुई है. बीमा भारती ने फ्लोर टेस्ट में हिस्सा तो लिया, लेकिन उनके बागी होने की कोशिश का राज पहले ही खुल गया था. सदन की कार्यवाही समाप्त होने के बाद विधायक अपने पति के साथ वापस लौट रही थीं, तभी रास्ते में उनके पति अवधेश मंडल को गिरफ्तार कर लिया गया. 


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अवधेश मंडल पर आरोप है कि उनकी गाड़ी में बगैर लाइसेंस के हथियार थे. आरोपी अवधेश मंडल के मुताबिक, जो भी हथियार मिले हैं उनके लाइसेंस हैं. उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि हम आगे-आगे आ रहे थे और दो गाड़ी पीछे से थी. उसमें लाइसेंस (हथियार का) एक बेटी के नाम पर था और दो मैडम के नाम पर. जैसे ही पुल पार किए तो हम लोग को रोका गया और पुलिस ने गाड़ी में बैठा लिया. कुछ भी नहीं बताया. ये तो जांच का विषय है कि लाइसेंस सही है या गलत. लाइसेंस हमारे पास है. सही है. लग रहा है कि फ्लोर टेस्ट के चलते ही पकड़ा. आर्म्स एक्ट लगा दिया. ये गलत है.


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वहीं JDU विधायक सुधांशु शेखर ने तेजस्वी यादव के करीबी सुनील कुमार राय पर अपनी पार्टी के विधायकों को अगवा करने का आरोप लगाया है. उन्होंने पुलिस में इसकी शिकायत भी दर्ज कराई है. विधायक सुधांशु शेखर ने पुलिस को बताया कि महागठबंधन के नेताओं की तरफ से मुझे 10 करोड़ रुपये ऑफर किए गए थे. उनके एक रिश्तेदार के जरिए उन्हें खरीदने की कोशिश की गई थी. उनके पास पूर्व मंत्री नागमणि कुशवाहा के व्हाट्सअप नंबर से कॉल आया था. कॉल करने वाले ने अपना नाम अखिलेश बताया था और खुद को राहुल गांधी का करीबी बता रहा था.