Bihar Politics: बिहार में जातीय जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक होने के बाद से ही यह सवाल उठने लगा है कि जितनी जिसकी संख्या भारी उतनी उसकी हिस्सेदारी के फॉर्मूले को सरकार लागू करे. हालांकि नीतीश सरकार की तरफ से प्रदेश में आरक्षण की सीमा बढ़ाकर 75 फीसदी करने के फैसले का स्वागत किया गया तो वहीं इसे कोर्ट में चैलेंज भी कर दिया गया है. इस सब के बीच अब संख्या बल में भारी जाति के लोगों की तरफ से सरकार में भी इसी फॉर्मूले पर हिस्सेदारी की बात धीरे-धीरे सामने आने लगी है. 


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नीतीश कुमार की पार्टी के मुस्लिम नेता ने अपने बयान के जरिए इस मामले में सीएम नीतीश की टेंशन बढ़ा दी है. वह सरकार और पार्टी में मुसलमानों की हिस्सेदारी की मांग कर रहे हैं.  जदयू के मुस्लिम नेता गुलाम रसूल बलियावी ने कहा कि 3 फीसद आबादी वाले नीतीश कुमार सरकार चला रहे हैं और हम मुस्लिम तो बिहार में 18 प्रतिशत हैं. 


गुलाम रसूल बलियावी जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व में पार्टी की तरफ से राज्यसभा सांसद रह चुके हैं. ऐसे में उनका यह बयान पार्टी और नीतीश कुमार दोनों के टेंशन बढ़ाने वाला है. वहीं गुलाम रसूल बलियावी के इस बयान के बाद विपक्षी दल भी नीतीश कुमार पर जमकर हमलावर हो गए हैं. 


गुलाम रसूल बलियावी की मानें तो बिहार में 18 फीसद मुसलमान हैं जो जातीय जनगणना के आंकड़ों से पता चला है. तो ऐसे में मुसलमानों को भी संख्या बल के आधार पर सरकार और पार्टी में भागीदारी क्यों नहीं दी जा सकती है. जबकि 3 फीसद आबादी वाले नीतीश कुमार सरकार चला रहे हैं. 14 फीसद आबादी वाले तेजस्वी यादव प्रदेश में उपमुख्यमंत्री हैं और 9 मंत्री भी इस जाति से हैं. 


बलियावी ने तो सरकार से यह सुनिश्चित करने की मांग कर दी कि मुसलमानों को मंत्रालय से लेकर सचिवालय तक कलेक्ट्रेट से लेकर पुलिस महकमे तक और स्कूल कॉलेजों में भी हिस्सेदारी बढ़ाई जाए. वहीं नीतीश की पार्टी के पूर्व सांसद अली अनवर ने भी गुलाम रसूल बलियावी की इस मांग का समर्थन किया है. 


अब भाजपा भी गुलाम रसूल बलियावी के बयान के बाद नीतीश कुमार और लालू यादव पर हमलावर हो गई है. हालांकि गुलाम रसूल बलियावी के इस बयान से राजद और जदयू किनारा कर रही है.