Jharkhand Politics: झारखंड की राजनीति में एक साल के अंदर ही एक बार फिर से सत्ता परिवर्तन हो गया है. बुधवार (3 जुलाई) को चंपई सोरेन ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया. इस्तीफा देने के बाद उन्होंने कहा कि मैंने स्वेच्छा से इस्तीफा दिया है. चंपई सोरेन के इस्तीफे के बाद अब एक बार फिर से हेमंत सोरेन प्रदेश की कमान संभालने वाले हैं. चंपई सोरेन के नाटकीय इस्तीफे से राज्य की सियासत गरमा गई है. इस पर बीजेपी ने जेएमएम और इंडिया ब्लॉक पर वंशवाद की राजनीति करने का आरोप लगाया है. बीजेपी के मुताबिक, जेएमएम ने आदिवासी नेता का अपमान किया है. बीजेपी विधायक सीपी सिंह ने कहा कि ऐसे भी चंपई सोरेन को इन लोगों ने मुखौटा बनाया था, जबकि फैसला जेल से रहकर हेमंत सोरेन ले रहे थे. उन्होंने कहा कि जेल से बाहर आकर कर वह (हेमंत सोरेन) फिर से मुख्यमंत्री बन रहे हैं तो कोई चौंकाने वाली बात नहीं है. बीजेपी प्रवक्ता अशोक बड़ाईक ने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा ने बार-बार एक आदिवासी नेता को जलील किया है.


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उधर जेएमएम ने बीजेपी के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि इनकी जुबान से आदिवासियों की बात अच्छी नहीं लगती. जेएमएम प्रवक्ता मनोज पांडेय ने कहा कि यह हमारे परिवार का मामला है. इसमें उन लोगों को दखल देने की जरूरत नहीं. मनोज पांडेय ने कहा कि बीजेपी वाले डिवाइड एंड रूल पॉलिसी के तहत हमारे बीच आपस में टूट कराना चाह रहे हैं. लेकिन उन्हें झारखंड मुक्ति मोर्चा की बुनियाद का एहसास नहीं है. वहीं इस पर कांग्रेस ने भी बीजेपी पर पलटवार किया है. 


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कांग्रेस प्रवक्ता राकेश सिन्हा ने कहा कि लोकसभा में सभी आदिवासी सीटों पर हार का नतीजा है कि वो बेचैन हैं, इसीलिए ऐसी बातें कर रहे हैं. राकेश सिन्हा ने कहा कि इंडिया गठबंधन का हेमंत सोरेन चेहरा हैं और वह फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि बीजेपी को इस बात की परेशानी सता रही है कि जब हेमंत सोरेन जेल में थे तो उनका यह हश्र हुआ, जब वह बाहर हैं तो वह खाता भी नहीं खोल पाएंगे. इसका अंदेशा बीजेपी के प्रभारी को भी हो चुका है और रही बात परिवारवाद की तो उन्हें अपने गिरेबान में झांक कर देखने की जरूरत है.


रिपोर्ट- धीरज ठाकुर