Jitan Ram Manjhi News: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और HAM के संस्थापक संरक्षक जीतन राम मांझी के एनडीए में वापसी को लेकर सत्तापक्ष हमलावर हैं. जेडीयू और आरजेडी उन्हें गद्दार तक कह रहे हैं. जिस पर अब जीतन राम मांझी ने भी पलटवार किया है. मांझी ने गद्दार शब्द पर लालू-नीतीश को आईना दिखा दिया. उन्होंने कहा है कि बीजेपी के समर्थन के बल पर बिहार में मुख्यमंत्री बनने वाले लालू यादव और नीतीश कुमार की पार्टी उन्हें गद्दार कह रही है, यह बेईमानी नहीं तो क्या है? 


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मांझी ने कहा कि 1990 में लालू यादव ने बीजेपी के समर्थन से सरकार बनाई थी और मुख्यमंत्री बने थे. एनडीए की सरकार में नीतीश कुमार रेल मंत्री थे. इतना ही नहीं बीजेपी के समर्थन से नीतीश कुमार कई बार बिहार के मुख्यमंत्री बने, तब सब कुछ ठीक था. लेकिन आज जब उन्होंने नीतीश कुमार द्वारा महागठबंधन से बाहर किए जाने के बाद एनडीए में शामिल होने का फैसला किया, तो उन्हें गद्दार कहा जा रहा है. यह बेईमानी नहीं तो क्या है?


नीतीश कुमार की ओर से विभीषण कहे जाने पर मांझी ने कहा कि उन पर जासूसी का आरोप लगाने वाले नीतीश कुमार ने खुद यह कहा कि उन्होंने मुझे अपनी पार्टी का जेडीयू में विलय करने या महागठबंधन से बाहर जाने को कहा था. सोचिए अगर मसला जासूसी का था तो क्या जेडीयू में विलय करने के बाद भी यह खतरा नहीं रहता. इसका मतलब स्पष्ट है कि उन्होंने गलत आरोप लगाया. उन्होंने अविश्वास किया, जबकि जासूसी करना उनका स्वभाव नहीं है. उन्होंने कहा कि वह अपनी पार्टी का स्वतंत्र अस्तित्व बनाए रखना चाहते थे. नीतीश कुमार की विलय की शर्त को स्वीकार नहीं कर सकते थे.


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विपक्षी दलों को एकजुट करने की नीतीश कुमार की मुहिम पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों की एकता होना संभव नहीं है. मांझी ने कहा कि कर्नाटक में जीतने के बाद कांग्रेस की महत्वाकांक्षा भी बढ़ गई है और वह किसी दूसरे दल के नेता का नेतृत्व स्वीकार नहीं करेगी. उन्होंने कहा कि आज नरेंद्र मोदी के सामने विपक्ष के पास कोई नेता नहीं है. बता दें कि जीतन राम मांझी बुधवार (22 जून) को एनडीए में शामिल हो गए. उन्होंने दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से 45 मिनट मुलाकात के बाद लिया. 


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बता दें कि जीतन राम मांझी पर सीएम नीतीश कुमार का दबाव था कि वे अपनी पार्टी हम का विलय जेदयू में कर दें. इसके जवाब में बिहार सरकार के मंत्री उनके और पुत्र पद संतोष सुमन ने 13 जून को मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद जीतन राम मांझी ने राज्यपाल से मुलाकात कर महागठबंधन से भी अपना रिश्ता तोड़ लिया. इस बीच नीतीश कुमार ने उनके बारे में ये भी कह दिया कि महागठबंधन में रहकर वो बीजेपी के लिए मुखबिरी करने का काम रहे थे.