PM Modi Speech In Lok Sabha: देश में संविधान के 75 साल पूरे होने पर संसद में 2 दिन तक जोरदार चर्चा हुई. इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार (14 दिसंबर) को विपक्ष के एक-एक आरोपों का जवाब दिया. संविधान पर चर्चा करते हुए पीएम मोदी के निशाने पर खासकर कांग्रेस रही. कांग्रेस पार्टी पर बरसते हुए पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने निरंतर संविधान की अवमानना की, संविधान के महत्व को कम किया. पीएम मोदी ने अपने भाषण में उस घटना का भी जिक्र किया, जिसका लालू यादव पर बहुत बड़ा असर पड़ा है. पीएम मोदी के भाषण के इस अंश को सुनकर लालू परिवार काफी खुश हुआ होगा.


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पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस के एक परिवार ने संविधान को चोट पहुंचाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी. पीएम मोदी ने कहा कि इतिहास में पहली बार संविधान को इतनी गहरी चोट पहुंचा दी गई. संविधान निर्माताओं ने चुनी हुई सरकार और चुने हुए प्रधानमंत्री तक की कल्पना तक ही संविधान बनाया था. लेकिन इन्होंने तो प्रधानमंत्री के ऊपर एक गैर संवैधानिक, जिसने कोई शपथ भी नहीं लिया था, नेशनल एडवाइजरी काउंसिल को पीएमओ के भी ऊपर बैठा दिया. पीएम मोदी ने आगे कहा कि इतना ही नहीं और एक पीढ़ी आगे चले तो उस पीढ़ी के एक अहंकार से भरे लोगों ने मीडिया के सामने  केंद्रीय कैबिनेट का प्रस्ताव फाड़ दिया और फिर कैबिनेट को वह प्रस्ताव वापस लेने के लिए विवश होना पड़ा.


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पीएम मोदी का इशारा राहुल गांधी की ओर था. पीएम मोदी ने जिस घटना का जिक्र किया, वह दिसंबर, 2013 में मनमोहन सिंह की सरकार में हुई थी. उस वक्त मनमोहन सिंह की कैबिनेट ने एक अध्यादेश पारित किया था. इसका मकसद सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित एक आदेश को निष्क्रिय करना था, जिसमें अदालत ने कहा था कि दोषी पाए जाने पर सांसदों और विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी जाएगी. बीजेपी ने मनमोहन सरकार के इस अध्यादेश का कड़ा विरोध करते हुए मनमोहन सरकार पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का आरोप लगाया था. इस हंगामे के बीच कांग्रेस ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई थी, जिसमें राहुल गांधी भी मौजूद थे.


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राहुल गांधी ने मनमोहन सरकार के उस अध्यादेश को मीडिया के सामने फाड़कर कचरे के डिब्बे में फेंक दिया था. राहुल गांधी के विरोध के कारण तत्कालीन यूपीए सरकार ने भी अपना अध्यादेश वापस ले लिया था. उसी वक्त आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव पर भी चारा घोटाले को लेकर अयोग्यता की तलवार लटक रही थी. अध्यादेश वापस लेने से चारा घोटाले में दोषी पाए जाने के कारण लालू यादव की सदस्यता चली गई थी और वो 11 साल के लिए राजनीति से प्रतिबंधित हो गए थे. अगर राहुल गांधी उस वक्त मनमोहन कैबिनेट का अध्यादेश ना फाड़ते तो लालू यादव आज भी सक्रिय राजनीति में होते.


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