Giridih Lok Sabha Seat Profile: झारखंड की गिरिडीह सीट का संबंध मुगलों से रहा है. मुगल शासक अकबर ने 1556 ईस्वी में झारखंड के क्षेत्रों पर जीत हासिल की थी. इसके बाद से अंग्रेजी शासन आने तक यहां मुगलों का अधिकार रहा. गिरिडीह शहर एक धार्मिक महत्व का स्थान है. यहां जैन धर्म से जुड़े कई प्रसिद्ध स्थल हैं. इसके अलावा झारखंड धाम, हरिहर धाम, लगट बाबा समाधि स्थान, दुखीय महादेव मंदिर, श्री कबीर ज्ञान मंदिर आदि मंदिर भी मौजूद हैं. 


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नोबेल पुरस्कार विजेता और महान वैज्ञानिक सर जगदीश चन्द्र बोस का जन्म इसी भूमि पर हुआ था. इस क्षेत्र में कोयला और खनिज सम्पदाओं की भरमार है, हालांकि ये इलाका नक्सलियों से भी काफी प्रभावित है. 2011 की जनगणना के अनुसार, यहां की जनसंख्या 24,45,774 है. जिसमें पुरुष 12,58,098 हैं और महिलाएं 11,87,376 हैं. गिरिडीह जिले की आधी आबादी गांवों में रहती है. 


बीजेपी की गढ़ है गिरिडीह सीट


गिरिडीह लोकसभा सीट को बीजेपी का गढ़ माना जाता है. बीजेपी यहां से 6 बार जीत चुकी है, वहीं कांग्रेस को 4 बार सफलता हासिल हुई. 1989 में यहां पहली बार कमल खिला था. इसके बाद भगवा पार्टी ने कभी पलटकर नहीं देखा. इस लोकसभा क्षेत्र के अंदर 6 (गिरिडीह, डुमरी, गोमिया, बेरमो, टुंडी और बाघमारा) विधानसभा सीटें आती हैं. जिनमें से 3 सीटों पर जेएमएम का कब्जा है. कांग्रेस, बीजेपी और आजसू के पास एक-एक सीट है. 


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रविन्द्र कुमार पाण्डेय 5 बार जीते


1989 में पहली बार रामदास सिंह ने बीजेपी का कमल खिलाया था. उसके बाद यह सीट बीजेपी की परंपरागत सीट हो गई. इस सीट से सबसे ज्यादा बार सांसद चुने जाने का रिकॉर्ड बीजेपी के रविन्द्र कुमार पाण्डेय के नाम है. वे यहां से पांच बार सांसद रह चुके हैं. 1996 में बीजेपी के रविन्द्र कुमार पाण्डेय गिरिडीह सीट से पहली बार जीते थे. इसके बाद 1998 और 1999 में भी उन्हें जीत मिली. 2009 और 2014 में वे फिर से सांसद चुने गए थे. 


2019 में NDA से AJSU प्रत्याशी जीता


2019 में यह सीट एनडीए में शामिल AJSU के खाते में गई थी. आजसू की ओर से चंद्र प्रकाश चौधरी को मैदान में उतारा गया था. उन्होंने इस सीट से 1,67,833 मतों के अंतर से जीत हासिल की थी. चंद्र प्रकाश ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के उम्मीदवार जगरनाथ महतो को हराया था.