Lok Sabha Election 2024: 2019 में कांग्रेस ने 52 में से 31 सीटें सिर्फ 3 राज्यों में जीती थी, अब वहां क्षेत्रीय दल दिखा रहे आंखे
Lok Sabha Election 2024: विपक्षी गठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर सबसे ज्यादा मुश्किलें कांग्रेस के सामने आ रही हैं. गठबंधन में शामिल सबसे बड़ी पार्टी होने के बाद भी कांग्रेस को क्षेत्रीय दल कोई खास तरजीह नहीं दे रहे हैं. INDI Alliance में क्षेत्रीय दल कांग्रेस पार्टी को सिर्फ खानापूर्ति के लिए सीटें देना चाहते हैं.
INDI Alliance Seat Sharing: लोकसभा चुनाव में अब महज कुछ ही महीनों का समय बचा है. इस चुनाव में पीएम मोदी के नेतृत्व में बीजेपी को हैट्रिक लगाने की पूरी उम्मीद है. वहीं इंडी अलायंस के तहत विपक्ष एकजुट होकर बीजेपी को सत्ता से बाहर करने की तैयारी कर रहा है. इंडिया ब्लॉक ने सीट शेयरिंग के लिए 31 दिसंबर की डेडलाइन तय की थी. डेडलाइन बीतने के बाद अब कांग्रेस और दूसरी पार्टियां सीट शेयरिंग को लेकर एक्टिव हो गई हैं. सीट शेयरिंग का उलझा गणित सुलझाने के लिए कांग्रेस में मंथन का दौर जारी है. कांग्रेस पार्टी यानी रविवार (07 जनवरी) से अगली तीन दिन तक इंडी अलायंस के सहयोगी दलों के साथ सीट शेयरिंग पर चर्चा करेगी.
विपक्षी गठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर सबसे ज्यादा मुश्किलें कांग्रेस के सामने आ रही हैं. गठबंधन में शामिल सबसे बड़ी पार्टी होने के बाद भी कांग्रेस को क्षेत्रीय दल कोई खास तरजीह नहीं दे रहे हैं. यूपी में अखिलेश यादव, बिहार में नीतीश कुमार और लालू यादव, पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी, दिल्ली और पंजाब में अरविंद केजरीवाल, महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे और शरद पवार, तमिलनाडु में एमके स्टालिन आदि क्षेत्रीय दलों के नेता कांग्रेस पार्टी को कोई भाव नहीं दे रहे हैं. यूपी-बिहार में लोकसभा की कुल 120 सीटें हैं जिनमें से कांग्रेस के पास सिर्फ 2 सीटें हैं. लिहाजा यूपी में सपा और बिहार में राजद और जदयू कांग्रेस को 10 सीट देने के मूड में नहीं हैं. यही हाल पश्चिम बंगाल का है.
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पश्चिम बंगाल कुल 42 सीटें है कांग्रेस 6-10 सीटें चाहती है. लेकिन टीएमसी दो सीटों पर ही राजी दिखती है. टीएमसी की दलील है कि 2019 के चुनाव में जिसको जितने वोट मिले उसके आधार पर ही बंगाल में सीटों का बंटवारा हो, लेकिन कांग्रेस को ये मंजूर नहीं है. 2019 में कांग्रेस के 52 सांसदों में से 31 प्रत्याशी तो सिर्फ 3 राज्यों से जीतकर संसद पहुंचे थे. ये राज्य पंजाब, केरल और तमिलनाडु हैं. इन तीन राज्यों में कांग्रेस पार्टी ने कुल 38 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे और इनमें से 31 उम्मीदवार चुनाव जीत गए थे. हीं बाकी के 21 प्रत्याशी देश के अन्य राज्यों से जीते थे. इन तीन राज्यों में इतना जबरदस्त प्रदर्शन करने के बाद भी कांग्रेस पार्टी को क्षेत्रीय दल आंखे दिखाने में जुटे हैं.
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पंजाब में 2019 से समीकरण बिल्कुल उलट चुके हैं. अब यहां अरविंद केजरीवाल की पार्टी AAP की सरकार है. पंजाब विधानसभा चुनाव जीतने का बाद अरविंद केजरीवाल की कोशिश है कि लोकसभा में उनकी पार्टी ही ज्यादा से ज्यादा सीटों पर लड़े. आम आदमी पार्टी के नेताओं का तो यहां तक कहना है कि हो सकता है कि पंजाब में कांग्रेस और आप अलग अलग लडे. 2019 में कांग्रेस को सबसे ज्यादा सफलता केरल में मिली थी. यहां की 20 में से 15 सीटों पर पार्टी जीतने में सफल रही. इसी तरह से 39 सीटों वाले तमिलनाडु में DMK के साथ गठबंधन में कांग्रेस सिर्फ 9 सीटों पर लड़ी थी और 8 जीती थी. INDI Alliance में क्षेत्रीय दल कांग्रेस पार्टी को सिर्फ खानापूर्ति के लिए सीटें देना चाहते हैं.