Ranchi Lok Sabha Seat Profile: झारखंड की राजधानी रांची प्रदेश के सबसे खूबसूरत शहरों में से एक है. इस शहर को जलप्रपातों का शहर कहा जाता है. रांची-टाटा रोड पर दशम जलप्रपात है. यहां 144 फीट की ऊंचाई से झरना गिरता है. बारिश के दिनों में यहां झरने की 10 धाराएं दिखती हैं. इसके अलावा 47 किमी की दूरी पर है हुंडरू जलप्रपात जो 320 फीट की ऊंचाई से गिरता है. 45 किमी दूर है जोन्हा जलप्रपात है. इसे गौतमधारा भी कहते हैं क्योकि यहां नजदीक ही भगवान बुद्ध का एक मंदिर है. इसके अलावा रॉक गार्डन और टैगोर हिल भी प्रसिद्ध पर्यटक स्थल हैं. 


अविभाजित बिहार में रांची गर्मियों की राजधानी हुआ करती थी. पूर्व भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी इसी शहर से हैं. रांची में बीआईटी मेसरा, आईआईएम, एनआईएफएफटी, एनयूएरआरएल, सीआईपी जैसे प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान भी हैं. 1952 में यह लोकसभा सीट अस्तित्व में आई थी. इस सीट पर मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही होता. लेकिन गैर बीजेपी और गैर कांग्रेसी दलों को भी मौका मिल चुका है.

 

मौजूदा दौर में भले ही महतो और गैर महतो का उठता हो लेकिन शुरू में मुस्लिम और पारसी प्रत्याशी भी जीत दर्ज चुके हैं. 1952 में हुए पहले ही चुनाव में मुस्लिम सांसद चुना गया था. उस वक्त कांग्रेस की टिकट अब्दुल इब्राहिम चुने गए थे. तो वहीं अगले ही चुनाव यानी 1957 में झारखंड पार्टी की टिकट पर पारसी प्रत्याशी एमआर मसानी को जीत मिली थी. 1962 से 1971 तक बंगाली नेता प्रशांत कुमार घोष इसी सीट से लगातार तीन बार जीत करके दिल्ली पहुंचे थे. 

 

बीजेपी के राम रच चुके इतिहास

 

बीजेपी के राम टहल चौधरी इस सीट से 5 बार सांसद रह चुके हैं. जिसमें 4 बार बार तो लगातार दिल्ली पहुंच चुके हैं. इसके बाद कांग्रेस के प्रशांत कुमार घोष का नंबर आता है. वे लगातार 3 बार सांसद बने थे. पहली बार वह स्वतंत्र पार्टी की टिकट से चुनाव जीते थे. बाकी दोनों बार कांग्रेस की टिकट पर सांसद बने थे. कांग्रेस के सुबोध कांत सहाय भी तीन बार सांसद रह चुके हैं. सुबोध कांत पहली बार 1989 में जनता दल से चुनाव जीते थे. इसके बाद 2004 और 2009 का चुनाव कांग्रेस की टिकट पर जीते थे. 2014 से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है. 2014 में सुबोध कांत को बीजेपी के रामटहल ने तो 2019 में संजय सेठ ने हराया था. 

 


 

2 लाख वोटों से हारा था कांग्रेस प्रत्याशी

 

2019 में संजय सेठ ने अपने प्रतिद्वंदी कांग्रेस प्रत्याशी सुबोध कांत सहाय को 2,83,026 वोटों के बड़े अंतर से हराया था. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के राम टहल चौधरी ने करीब 2 लाख मतों से कांग्रेस के सुबोध कांत सहाय को हराया था. विधानसभा सीटों की बात करें तो इस जिले की 7 विधानसभा सीटों में से 3 पर बीजेपी का कब्जा है. तो वहीं जेएमएम, आजसू, जेवीएम और कांग्रेस के पास एक-एक सीट है.