Lok Sabha Election 2024 Vaishali Seat: मोदी लहर में ढह गया राजद के रघुवंश बाबू का गढ़ है, वैशाली सीट के अब कैसे हैं समीकरण?
वैशाली राजद का मजबूत गढ़ रहा है. राजद के वरिष्ठ नेता डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह यहां से लगातार 5 बार सांसद रहे हैं.
Vaishali Lok Sabha Seat Profile: बिहार के वैशाली का इतिहास काफी पुराना है. जैन और बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए यह एक पवित्र स्थान है. जैन धर्म के अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्म यहीं हुआ था, तो भगवान बुद्ध ने अपने ज्ञान से इस स्थली को सींचा. बुद्ध के समय वैशाली एक समृद्ध राज्य हुआ करता था. सम्राट अशोक की यह भूमि दुनिया के पहले गणतंत्र के तौर पर जानी जाती है.
वैशाली विश्व में लोकतंत्र की प्रथम प्रयोगशाला भी है. यहीं से लिच्छवी राजवंश ने गणतांत्रिक व्यवस्था की शुरुआत की थी. वैशाली लोकसभा सीट पर पहली बार 1952 में चुनाव हुए थे. 1952 से 1997 तक इस सीट से लगातार 6 बार दिग्विजय नारायण सिंह लोकसभा पहुंचे. 1980 और 1984 में इस सीट से जनता पार्टी के टिकट पर किशोरी सिन्हा ने चुनाव जीता. वह इस सीट की पहली महिला सांसद भी हैं.
5 बार सांसद रहे रघुवंश बाबू
वैशाली राजद का मजबूत गढ़ रहा है. राजद के वरिष्ठ नेता डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह यहां से लगातार 5 बार सांसद रहे हैं. 1996 में पहली बार RJD के डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह ने यहां से जीत हासिल की. इसके बाद लगातार 1998, 1999, 2004 और 2009 में डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह के सिर जीत का सेहरा बंधा.
मोदी लहर ढह गया RJD का किला
2014 की मोदी लहर में राजद का ये अभेद्य किला ढह गया और LJP के रामाकिशोर सिंह ने डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह को मात दी. 2019 में एक बार फिर से LJP की वीणा देवी ने रघुवंश बाबू को मात दे दी. वीणा देवी जेडीयू के एमएलसी दिनेश चंद्र सिंह की पत्नी हैं. 2019 के चुनाव में वीणा देवी को 5,68,215 वोट मिले थे. जबकि रघुवंश बाबू को 3,33,631 वोट मिले थे.
इस सीट के सामाजिक समीकरण
इस लोकसभा क्षेत्र में कुल 17 लाख 18 हजार 311 मतदाता हैं. इस सीट पर अगड़ी जातियों को शुरू से बोल-बाला रहा है. यहां राजपूत, यादव और भूमिहार जाति के वोटर ज्यादा हैं, लेकिन कई उपजातियों को मिलाने के बाद अतिपछड़ों और दलितों की आबादी की यहां निर्णायक है. खासकर कुर्मी, कुशवाहा और नोनिया जाति को वोटर चुनाव पर असर डालते हैं.