Nitish Vs Mayawati : बीएसपी सुप्रमो मायावती ने बिहार में अपनी पार्टी को मजबूत करने की रणनीति बनाने पर काम शुरू कर दिया है. इस कदम में उनके पार्टी के बिहार बसपा पदाधिकारियों ने काम शुरू कर दिया है. साथ ही मायावती को पीएम बनाने का संकल्प भी लिया है. वहीं, दूसरी तरफ बिहार के सीएम नीतीश कुमार विपक्षी एकता को मजबूत करने के लिए बैठक कर रहे हैं. बीजेपी विरोधी दलों से बातचीत कर रहे हैं कि कैसे एकजुट होकर लोकसभा 2024 का चुनाव लड़ा जाए. अब बीएसपी की बिहार में पूर्ण रूप से एंट्री नीतीश कुमार के माथे पर शिकन लाने जैसा है. अगर बीएसपी प्रदेश की सभी लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी तो महागठबंधन को तगड़ा नुकसान हो सकता है, क्योंकि बिहार में दलित वोट बैंक पर नीतीश कुमार और पासवान का हक माना जाता है. 


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बीएसपी के बिहार में चुनाव लड़ने से सियासी हलकों में ये चर्चा होने लगी की क्या मायावती सीएम नीतीश कुमार को टक्कर देने वाली है. नीतीश कुमार के साथ ना आकर वह विपक्षी एकजुटता की हवा निकल रही है. इस सब चर्चा के बीच माना जा रहा है कि अगर अब बिहार के दलित वोट बैंक पर किसका हक होगा. जो दलित वोटर्स नीतीश कुमार और पासवान के साथ हर चुनाव में रहते हैं क्या वह बीएसपी के आने से वैसे ही बने रहेंगे? राजीतिक जानकारों का मानना है कि मायावती की पार्टी का बिहार में सभी लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ना नीतीश कुमार के लिए अच्छा नहीं होगा. इसका नुकसान उनकी पार्टी को उठाना पड़ सकता है.


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अब बात करते हैं कि आखिर बीएसपी को लेकर बिहार की सियासत में इतनी चर्चा एकाएक क्यों शुरू हो गई. दरअसल, 9 जून 2023 को पटना में बीएसपी के प्रदेश कार्यालय में पार्टी पदाधिकारियों की बैठक हुई. इस बैठक में साल 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर रणनीति पर बातचीत की गई. इस बैठक में बीएसपी प्रदेश प्रभारी ने जिस तरह से बस्ती से लेकर बूथ और गांव तक भीमराव अंबेडकर, कांशीराम और मायावती के विचारों को दलितों तक पहुंचाने की बात कही और प्रदेश की नीतीश सरकार को घेरा उससे तो साफ हो गया कि बिहार में बीएसपी अब मुखर होकर नीतीश सरकार की आलोचना करेंगी. साथ ही उन्होंने कहा कि सभी लोगों को मायावती पक्ष में एकजुट होकर मतदान करवाना है और उनको पीएम बनवाना है.