Lok Sabha Seats Delimitation: बिहार में बढ़ने वाली हैं लोकसभा की इतनी सीटें, किसको फायदा-किसको नुकसान?
देश में हर 10 लाख की आबादी पर एक सांसद वाले नियम के हिसाब से सीटें बांटी जाएं तो देश में कुल 1,375 सीटें होगीं. हालांकि नए संसद भवन के अंदर लोकसभा में अधिकतम 888 सांसदों के बैठने की क्षमता है.
Lok Sabha Seats Delimitation: देश के नए संसद भवन का उद्घाटन हो चुका है. नई संसद भवन, पुरानी से काफी बड़ी बनाई गई है. पुरानी इमारत में लोकसभा और राज्यसभा में क्रमशः 550 और 250 सदस्यों के लिए सीटें थीं. इसकी तुलना में नई संसद के लोकसभा में 888 सांसद और राज्यसभा में 384 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था की गई है. नए संसद भवन के उद्घाटन के बाद से ही लोकसभा सीटों के परिसीमन के कयास लगाए जा रहे हैं. कहा जा रहा है कि 2026 में होने वाले परिसीमन के साथ लोकसभा में सीटों की संख्या बढ़ सकती है.
संविधान का अनुच्छेद 81 कहता है कि लोकसभा का प्रतिनिधित्व जनसंख्या के अनुसार होना चाहिए, लेकिन 1971 की जनगणना के आधार पर किए गए परिसीमन के बाद से ऐसा नहीं किया गया है. 1971 में करीब साढ़े 10 लाख आबादी पर एक लोकसभा सीट बनाई गई थी. आज एक सांसद के अंदर तकरीबन 25 लाख से ज्यादा की आबादी आती है. लिहाज मौजूदा दौर में लोकसभा सीटों को बढ़ाए जाने की सख्त आवश्यक्ता हो गई है. पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 2019 में ही परिसीमन करने की वकालत की थी. उन्होंने लोकसभा में कम से कम 1,000 सीटें करने की मांग की थी.
जल्द होगा लोकसभा सीटों का परिसीमन
अभी तक संसद के अंदर जगह के अभाव के चलते ऐसा नहीं हो सका था. लेकिन अब इसके संकेत मिलने लगे हैं. रविवार (28 मई) को नई संसद के उद्घाटन के बाद पीएम मोदी ने साफ कहा कि आने वाले समय में लोकसभा की सीटें बढ़ाई जाएंगी. इसके अलावा राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह के बयान से भी जल्द ही परिसीमन के संकेत मिलते हैं. परिसीमन की खबरों से विपक्षी खेमे में हलचल मच गई है. दरअसल, यदि परिसीमन होता है तो दक्षिण भारत की अपेक्षा हिंदी भाषी प्रदेशों की सीटों में ज्यादा सीटें बढ़ेंगी और यहां पर बीजेपी की अच्छी पकड़ मानी जा रही है.
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90% बढ़ जाएंगी बिहार की सीटें
नई संसद की लोकसभा में अधिकतम 888 सांसद ही बैठ सकेंगे. यदि इसे ही परिसीमन का आधार मानकर 1,210 सीटों के साथ एडजस्ट करें तो यूपी की सीटें 80 से बढ़कर 147 और बिहार की सीटें 40 से बढ़कर 76 हो सकती हैं. राजस्थान की सीटें 25 से बढ़कर 50 हो सकती हैं तो वहीं मध्य प्रदेश में लोकसभा की 29 सीटों की संख्या बढ़कर 53 हो सकती है. बाकी राज्यों में भी यही फॉर्मूला लगेगा. दक्षिण भारत में कर्नाटक की सीटें 28 से बढ़कर 45 हो सकती हैं. वहीं तमिलनाडु में 39 से बढ़कर 54 हो जाएंगी.
हिंदीभाषी से ही जीत जाएगी BJP
नए परिसीमन के बाद यदि लोकसभा में 888 सीटें होगीं, इनमें से 398 सीटें तो सिर्फ हिंदीभाषी राज्यों में आएंगी. वहीं 888 सीटों के हिसाब से बहुमत का आंकड़ा 445 हो जाएगा. हिंदीभाषी राज्यों में बीजेपी की पकड़ को देखते हुए नए परिसीमन से बीजेपी को जबरदस्त फायदा मिल सकता है. यही कारण है कि दक्षिण भारत की पार्टियां और विपक्ष परिसीमन के सपोर्ट में नहीं है. दक्षिण भारत की पार्टियां इसके विरोध में उतर आई हैं. उनका कहना है कि परिवार नियोजन को कामयाबी से लागू करने के लिए उन्हें दंडित करने की योजना बनाई जा रही है.