Loksabha Election 2024 Seemanchal Purnia seat:  बिहार में लोकसभा की कुल 40 सीटें हैं. इसमें से सीमांचल में कुल 4 सीटें पड़ती हैं. इस सीट पर हार जीत का सीधा असर इसके साथ सटे बंगाल की सीटों पर भी देखने को मिलता है. ऐसे में यह चार सीटें बिहार के लिए बड़ी खास हैं. आपको बता दें कि सीमांचल में जो चार सीटें हैं उनमें से हर सीट की अपनी अलग वैल्यू है. ये सीटें हैं किशनगंज, पूर्णिया,  कटिहार और अररिया.  ऐसे में हम आपको आज सीमांचल की हॉट सीट पूर्णिया के बारे में बताएंगे. 


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पूर्णिया एक ऐसा जिला जो नेपाल और देश के नॉर्थ ईस्ट के राज्यों से सीधे तौर पर जुड़ता है. वहीं बिहार के कोसी और मिथिलांचल के क्षेत्र को यह सीधे जोड़ता है. यहां की बड़ी आबादी खेती पर निर्भर करती है. यहां केला और मक्का के उत्पादन में अग्रणी है. यहां पूर्णिया जिले में कुल 7 विधानसभा सीटें हैं. जिसमें से केवल 6 विधानसभा सीट ही पूर्णिया लोकसभा मे पड़ता है. इसका अमौर और बायसी किशनगंज लोकसभा का हिस्सा है. जबकि कटिहार का कोढ़ा विधानसभा पूर्णिया में जुड़ा हुआ है. 


 सीमांचल का यह सीट MY समीकरण का केंद्र माना जाता है. यहां यादव और मुस्लिम आबादी के हाथ में पूरी तरह से राजनीति को बदलने की ताकत है. वहीं यहां SC-ST और OBC वोटर भी बड़ी संख्या में हैं वह यहां निर्णायक भूमिका में रहते हैं. यहां राजपूत और ब्राह्मण वोटर की भूमिका भी बड़ी रही है.  


बिहार की यह सबसे पुरानी लोकसभा सीटों में है. यहां से पहले सांसद के रूप में फणि गोपाल सेन रहे हैं. 1977 में कांग्रेस को यह सीट गंवानी पड़ी. हालांकि 1980 में फिर कांग्रेस ने इस सीट पर कब्जा किया. वही 1989 में यह सीट जनता दल के हिस्से चली गई. 1996 में यहां से पप्पू यादव एमपी बने. उसके बाद 2004 और 2009 में भाजपा के उदय सिंह यहां से सांसद बने. 


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यहां हिंदू वोटर 60 और मुस्लिम वोटरों का प्रतिशत 40 है. 2014 में यहां से संतोष कुशवाहा जदयू से सांसद बने और फिर 2019 में भी संतोष कुशवाहा ने एक बार फिर जीत दर्ज की है. ऐसे मं इस बार जब भाजपा अकेले इस सीट पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है. जदयू और राजद के साथ कांग्रेस गठबंधन में यहां से अभी तक ऐसा लग रहा है कि चुनाव लड़ेगी तो वहीं दूसरी तरफ असदुद्दीन ओवैसी यहां से अपनी पार्टी के उम्मीदवार के साथ चुनाव मैंदान में होंगे तो आपको बता दें कि यहां का मुकाबला बेहद महत्वपूर्ण होगा.