Ajit Pawar News: महाराष्ट्र में एनसीपी नेता अजित पवार ने अपने चाचा और एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार को बड़ा झटका दिया है. एनसीपी से बगावत करके वह शिंदे-बीजेपी सरकार में शामिल हो गए हैं. शिंदे सरकार में डिप्टी सीएम बनने के साथ ही अजीत पवार ने पार्टी पर भी अपना अधिकार ठोंक दिया है. अजित पवार ने दावा किया कि NCP पार्टी और सिंबल उनका है. ऐसा पहली बार नहीं है जब अजीत पवार ने चाचा के खिलाफ जाकर कोई काम किया हो. यदि याद हो तो 2019 में भी कुछ ऐसा ही हुआ था. उद्धव ठाकरे की ओर से मुख्यमंत्री पद मांगने पर बीजेपी का शिवसेना से गठबंधन टूट गया था. उस वक्त भी अजीत पवार ने देवेंद्र फडणवीस के साथ मिलकर सरकार बना ली थी और डिप्टी सीएम भी बन गए थे. हालांकि, सदन में बहुमत साबित करने से पहले ही वापस चाचा के साथ खड़े हो गए थे. 


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शरद पवार का कहना है कि ये सब उनकी पॉलिटिकल गुगली थी, जिसे देवेंद्र फडणवीस समझ नहीं पाए थे और बीजेपी की पोल खुल गई थी. अब सवाल ये है कि क्या दूसरी बार भी अजीत पवार वही वाला गेम खेल सकते हैं. बीजेपी ने एक बार फिर से अजीत पवार पर भरोसा क्यों किया और यदि अजीत पवार ने सच में एनसीपी में बगावत कर दी है, तो इसके पीछे वजह क्या है? ये वो तमाम सवाल हैं जो लोगों के दिमाग में तैर रहे हैं. 


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बीजेपी को क्या फायदा होगा?


सबसे बड़ा सवाल ये है कि इस पूरे घटनाक्रम से बीजेपी को क्या फायदा होगा? कहा जा रहा है कि अजित पवार को फिर से सरकार में शामिल करने में देवेंद्र फडणवीस का बड़ा रोल है. चर्चा तो ऐसी भी है कि दिल्ली में हुई एनसीपी की कार्यकारिणी बैठक से पहले जूनियर पवार ने BJP के एक बड़े नेता से गुपचुप ढंग से मुलाकात की थी. राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि अजित पवार को अपने साथ मिलाकर बीजेपी ने NCP के कोर वोटर्स को कन्फ्यूज कर दिया है. शिंदे गुट के साथ मिलकर बीजेपी ने कई उपचुनाव लड़े, लेकिन उन्हें ज्यादातर में हार का सामना करना पड़ा. इससे जाहिर है कि एकनाथ शिंदे पर लोगों का भरोसा कम है. आने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में बीजेपी का इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता था. इसलिए पार्टी ने अब एनसीपी के वोटबैंक को भी दो हिस्सों में बांट दिया है. 


फडणवीस जल्द बन सकते हैं मुख्यमंत्री


अजीत पवार के साथ आने से चर्चा तो ये भी है कि देवेंद्र फडणवीस जल्द ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन सकते हैं. राजनीतिक पंडितों का तो यहां तक दावा है कि अगले 8 से 10 दिन में महाराष्ट्र में फिर से एक शपथ ग्रहण होगा. दरअसल, शिंदे गुट ने शिवसेना से अलग होकर अलग पार्टी बनाई है. उनके 16 विधायकों को अयोग्य करार देने पर फैसला होना बाकी है. माना जा रहा है कि ये फैसला शिंदे गुट के खिलाफ आएगा. इसके बाद शिंदे गुट के बचे हुए यानी 40 विधायकों की सदस्यता भी रद्द हो सकती है. इससे मौजूदा सरकार अल्पमत में आ जाएगी और महाराष्ट्र में फिर से बड़ा बदलाव हो सकता है. इसे देखते हुए अजीत पवार को अपने साथ जोड़ लिया गया है. 


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शिंदे गुट का पूरा समर्थन है


कहा जा रहा है कि इस पूरे नाटकीय घटनाक्रम की शिंदे गुट को पूरी जानकारी है और उनका समर्थन भी है. बिना उनके BJP इतना बड़ा रिस्क नहीं ले सकती है. दोनों अच्छा काम कर रहे हैं. शिंदे सरकार मंत्रिमंडल विस्तार भी करने वाली थी. ऐसे में अजित पवार का आना साबित करता है कि BJP को अंदेशा हो गया है कि वे विधायकों की अयोग्यता पर आए फैसले को चैलेंज नहीं कर पाएंगे.