Reservation News: अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (SC-ST Reservation) के आरक्षण कोटे में क्रीमी लेयर की पहचान की बात करने वाले सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले पर शुक्रवार (9 अगस्त) को पीएम मोदी ने अपनी कैबिनेट बैठक बुलाई थी. इस बैठक में केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी की जगह चिराग पासवान की राय को प्रधानमंत्री ने तवज्जो दिया. बैठक के बाद मोदी सरकार ने साफ कर दिया कि वह सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का समर्थन नहीं करती. केंद्र सरकार ने कहा कि संविधान में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण में क्रीमी लेयर का प्रावधान नहीं है, जैसा कि बीआर अंबेडकर ने परिकल्‍पना की थी. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING


इस बैठक की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि कैबिनेट बैठक में सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले पर विस्तृत चर्चा की गई, जिसमें एससी और एसटी के लिए आरक्षण पर कुछ सुझाव दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि कैबिनेट का यह विचार है कि एनडीए सरकार संविधान के प्रावधानों के प्रति प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार बाबा साहेब आंबेडकर के संविधान के प्रति प्रतिबद्ध है और संविधान में क्रीमी लेयर का कोई प्रावधान नहीं है. केंद्रीय मंत्री ने साफ कहा कि बाबा साहब के संविधान के अनुसार ही एससी और एसटी का आरक्षण जारी रहेगा.


ये भी पढ़ें- वक्फ बोर्ड संशोधन बिल के लिए JPC गठित, कुल 31 सदस्यों में बिहार के 3 सांसद शामिल



बता दें कि एससी-एसटी आरक्षण के अंदर क्रीमी लेयर के फैसले पर मोदी सरकार के दो मंत्री ही आपस में भिड़ गए थे. दोनों बिहार में अपनी-अपनी पार्टी के मुखिया हैं. एक- हम संरक्षक जीतन राम मांझी तो दूसरे लोजपा-रामविलास के अध्यक्ष चिराग पासवान. दोनों मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं, लेकिन क्रीमी लेयर पर दोनों की राहें जुदा हैं. जीतन राम मांझी ने इस फैसले का समर्थन किया था, तो वहीं चिराग पासवान इसके खिलाफ थे. उन्होंने इस पर पुनर्विचार याचिका दायर करने की बात कही थी. इसका विरोध करते हुए मांझी ने कहा कि 76 सालों से सिर्फ चार जातियां ही एससी आरक्षण का लाभ उठाती रही हैं.