लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान बिहार की राजनीति में मिर्ची लगने की बात जोर शोर से उठी थी. दरअसल, मुकेश सहनी (Mukesh Sahni) चुनाव प्रचार के लिए हर रोज तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) के लिए टिफिन लेकर आते थे और दोनों हेलीकॉप्टर में बैठकर लंच करते थे और इसका वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर करते थे. एक वीडियो में दोनों मिर्च खाते दिख रहे हैं और आपस में चर्चा करते दिख रहे हैं कि यह सब देखकर एनडीए के नेताओं को मिर्ची लगनी तय है. लेकिन लगता है कि घड़ी का कांटा उल्टा घूमने वाला है. वहीं मुकेश सहनी जो लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान तेजस्वी यादव के राइट हैंड की तरह काम कर रहे थे, अब लंगड़ी मारने वाले हैं. बताया जा रहा है कि सब कुछ ठीक रहा तो वे एनडीए का हिस्सा हो सकते हैं.


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मुकेश सहनी के पिता जीतन सहनी मर्डर के बाद से घटनाक्रम तेजी से बदले हैं और इसके लिए साथ राजनीतिक समीकरण भी बदलते दिख रहे हैं. मुकेश सहनी के पिता की हत्या के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उनसे फोन पर बात की और संवेदना जाहिर की. इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जीतन सहनी की तेरहवीं पर एक संवेदना पत्र भेजकर मुकेश सहनी का दुख बांटने की कोशिश की. जीतन सहनी की हत्या के बाद कई केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेताओं के अलावा जेडीयू नेता भी मुकेश सहनी से मिले और संवेदना जताई.


इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हर घर तिरंगा अभियान से मुकेश सहनी प्रेरित हो गए और उन्होंने ​एक्स पर अपना प्रोफाइल फोटो बदलकर तिरंगा लगा लिया. कयास इसके बाद से लगने शुरू हो गए. हालांकि मुकेश सहनी की इस पर सफाई भी आई, लेकिन राजनीति में ज्यादातर फैसले पर्दे के पीछे से लिए जाते हैं. फिर क्या था, बिहार एनडीए के नेताओं ने एक के बाद एक वेलकम संदेश देना शुरू कर दिया. नीतीश कुमार के करीबी मंत्री जमा खान ने भी मुकेश सहनी के एनडीए में शामिल होने के रास्ते को खुला करार दिया है. मतलब यह कि अगर मुकेश सहनी एनडीए में आते हैं तो जेडीयू को कोई ऐतराज नहीं है.


भाजपा प्रवक्ता दानिश इकबाल कहते हैं कि मुकेश सहनी के एनडीए में आने का फैसला मख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में लिया जाएगा और एनडीए के भविष्य का भी ध्यान में रखा जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि मुकेश सहनी एक अच्छे नेता हैं और हमारी शुभकामनाएं उनके साथ हैं. मुकेश सहनी की पार्टी विकासशील इंसान पार्टी के नेता भले ही निषादों के आरक्षण को बीच में ला रहे हैं पर असल मामला राज्यसभा या फिर विधान परिषद सीट के लिए अटका बताया जा रहा है.


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मुकेश सहनी की नजर में एक और बात घूम रही है. वो यह कि एक सांसद वाले जीतनराम मांझी केंद्रीय कैबिनेट मंत्री का ओहदा संभाल रहे हैं, क्योंकि उन्होंने भाजपा यानी एनडीए के साथ जाने का फैसला किया. सहनी की टीस यह भी है कि बिहार में एक बड़े वर्ग का प्रतिनिधित्व करने के बाद भी उन्हें अभी तक कुछ हासिल नहीं हुआ है. 2020 के विधानसभा चुनाव में मुकेश सहनी की पार्टी के 4 विधायक जीते थे, लेकिन उन्होंने भाजपा को आंखें दिखाई तो 3 विधायकों को भाजपा ने अपने पाले में ले लिया और उसके बाद से मुकेश सहनी भटक ही रहे हैं. अगर लोकसभा चुनाव में मुकेश सहनी एक सीट पर भी मान जाते तो आज वे केंद्रीय मंत्री होते.