Bihar Politics: बिहार में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर गहमगहमी काफी तेज हो गई है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्षी एकता के धुरी बने हुए हैं. डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव उन्हें पूरा सहयोग कर रहे हैं. दोनों की विपक्षी एकता वाली मुहिम को हम संरक्षक जीतन राम मांझी झटका दे रहे थे. सीट शेयरिंग को लेकर मांझी की बयानबाजी नीतीश-तेजस्वी के काम में रोड़ा बन रही थी. इसलिए अब जीतन राम मांझी को साइडलाइन कर दिया गया है. 23 जून को पटना में होने वाली विपक्ष की बैठक में मांझी को नहीं बुलाया गया है. 


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विपक्ष की बैठक में मांझी को निमंत्रण नहीं दिए जाने से राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है. कहा जा रहा है कि मांझी की डिमांड को लेकर उनको अब साइडलाइन किया जा रहा है. वहीं मांझी ने नीतीश कुमार के ही साथ रहने की बात दोहराई है. उन्होंने एनडीए में जाने की खबरों का खंडन करते हुए कहा कि विपक्ष की मीटिंग में बुलाया जाता है तो ठीक और नहीं बुलाया जाता तो भी ठीक, लेकिन वो हमेशा नीतीश कुमार के साथ रहेंगे.  


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हालांकि, मांझी की रणनीति भी किसी को समझ नहीं आ रही है. उन्होंने हाल ही में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की थी. मुलाकात के बाद कहा था कि विधायकों की समस्या को लेकर सीएम के साथ बातचीत की थी. बातचीत काफी सकारात्मक रही. नीतीश कुमार ने बड़े ध्यान से सुना. नीतीश कुमार से मुलाकात के ठीक एक दिन बाद मांझी ने राज्यपाल  राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर से मुलाकात की. 


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राज्यपाल से मुलाकात को लेकर जीतनराम मांझी ने बताया कि बिहार में शिक्षा की स्थिति ठीक नहीं है. सरकारी स्कूलों का हाल भी ठीक नहीं है. सरकारी स्कूल में बेहतर पढ़ाई नहीं हो रही है, यही चिंता राजपाल से जताया है और सुधार की मांग भी की है. बता दें कि मांझी भी महागठबंधन सरकार का हिस्सा हैं लेकिन लोकसभा चुनाव में वो कम से कम 5 सीटों की डिमांड कर रहे थे. महागठबंधन की इस भीड़ में नीतीश-तेजस्वी के लिए इस डिमांड को पूरा कर पाना मुश्किल नजर आ रहा था.