Opposition Unity: केंद्र की सत्ता से भाजपा को बेदखल करने की कोशिश में विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने की कवायद कर रहे नीतीश कुमार को एक और तगड़ा झटका लगा है. दरअसल बिहार में महागठबंधन की सरकार है और यहां सरकार में सहयोगी दलों की संख्या 7 थी जो अब हम के बाहर निकलनेके बाद 6 रह गई है. आपको बता दें कि इसमें सबसे सशक्त भूमिका में जदयू, राजद और कांग्रेस है. अब जबकि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के द्वारा विपक्ष को एक मंच पर लाने की जिम्मेदारी नीतीश को सौंपी गई है और 23 जून को बिहार में विपक्षी दलों की बैठक होनी है. इससे पहले ही विपक्षी एकता को एक तगड़ा झटका बिहार में ही लग गया है. बता दें कि कांग्रेस के प्रवक्ता कुंतल कृष्ण ने पद और अपनी पार्टी कांग्रेस की सदस्यता दोनों से इस्तीफा दे दिया है. 


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कुंतल कृष्ण ने विपक्षी एकता की कोशिश कर रहे नीतीश कुमार के नेतृत्व पर तो सवाल खड़ा किया ही साथ ही सरकार के काम करने के तरीके भी उन्हें पसंद नहीं आए. इससे पहले नीतीश कुमार को जीतन राम मांझी की पार्टी हम ने झटका दिया था और उनके बेटे और सरकार में मंत्री संतोष सुमन ने अपने मंत्रीमंडल से इस्तीफा दे दिया था. 


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कुंतल कृष्ण ने अपने इस्तीफे के बाद साफ तौर पर कहा कि उनका पार्टी कांग्रेस नीतीश कुमार के सामने सरेंडर कर गई है. उन्होंने अपनी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर सवाल उठाते हुए कहा कि नीतीश कुमार हमेशा कांग्रेस का विरोध करते रहे और आज कांग्रेस नीतीश कुमार को ही सबसे ज्यादा तरजीह दे रही है. उन्होंने कहा कि आज जब हम बिहार में सत्ता में हैं तो हमारा नेतृत्व वह कर रहे हैं जो हमारी पार्टी का विरोध करते रहे. वह हमारे लीडर बन गए हैं. इसे मेरे जैसा कांग्रेस पार्टी का निष्ठावान कार्यकर्ता बर्दाश्त नहीं कर सकता है. 


नीतीश का नाम लिए बिना कुंतल कृष्ण ने कहा कि जो भी सहूलियत की राजनीति कर रहे हैं उन सभी लोगों का विरोध वह करते हैं. उन्होंने साफ कहा कि कांग्रेस पार्टी के नेता ही पार्टी का नेतृत्व कर सकते हैं. उन्होंने इस पर भी ऐतराज जताया कि विपक्षी दल की बैठक कांग्रेस के अलावा कोई और कैसे बुला सकता है. उन्होंने आगे कहा कि जिनके पास काम करने का अनुभव ना हो, जिनपर लगातार भ्रष्टाचार की बात हो रही हो, जो सरकार चलाने में नाकाम रहे हों उन्हें पार्टी का कार्यकर्ता मुख्यमंत्री कैसे मान सकता है.