Nitish Kumar opposition unity meeting: बेंगलुरु में विपक्षी एकता की दूसरी बैठक में पहले तो प्रेस कांफ्रेंस से पहले सीएम नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव और लालू प्रसाद यादव वहां से निकल आए. वहीं दूसरी तरफ वहां से वापसी के ठीक अगले दिन नीतीश कुमार ने इस बैठक से जल्दी वापस निकल आने को लेकर सफाई दी लेकिन, राजनीति के जानकारों को नीतीश की यह सफाई गले से नहीं उतर रही है. दूसरी तरफ वहां से वापसी के ठीक एक दिन बाद यानी अगले दिन राजगीर से पटना वापसी के साथ ही नीतीश कुमार लालू यादव से मिलने चले गए. भाजपा लगातार कह रही है कि जो दल एक दूसरे के खून के प्यासे हैं वह वहां एक साथ खड़े होकर मुस्कुरा रहे हैं और वापस अपने प्रदेश में लौटकर एकला चलो रे की राह पर ही चलेंगे. भाजपा के इस दावे में कुछ सच्चाई भी दिखने लगी है. 


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बेंगलुरु में बैठक की समाप्ति के 24 घंटे बाद ही इसके रूझान आने भी लगे. वाम दल सीपीएम के नेता सीताराम येचुरी ने ममता की पार्टी TMC से पश्चिम बंगाल में समझौते से साफ इंकार कर दिया. वहीं सीपीआई की केरल यूनिट प्रदेश में कांग्रेस के साथ समझौता करना ही नहीं चाहती है. यह सब तब जब सभी एक साथ बेंगलुरु में एक मंच पर खड़े होकर मुस्कुराकर फोटो खींचवा रहे थे. 


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नीतीश कुमार इस विपक्षी एकता के सूत्रधार बने लेकिन उनके लिए कांग्रेस के शासन वाली यह जमीन ही उनके स्वागत के लिए तैयार नहीं थी. वह बेंगलुरु में उतरे नहीं की ऐसे पोस्टरों से उनका सामना हुआ कि उनका मिजाज ही गरम हो गया. उन्हें तो वहां की कांग्रेस ही Unstable PM Candidate मान रही थी. फिर बैठक में नीतीश कुमार को बैठने के लिए मंच पर भी सही जगह नहीं दी गई, वह तो संयोजक बनाए जाने की सोच रख रहे थे. बैठक में नीतीश फोकस में थे ही नहीं क्योंकि पूरा फोकस तो शरद पवार, ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल, उद्धव ठाकरे, हेमंत सोरेन जैसे नेताओं पर था. नीतीश ने बिहार में आकर इस पूरे मामले पर भले सफाई दी हो लेकिन बेंगलुरु से जो खबर आ रही है उसकी मानें तो सभी वहां अपनी राय दे रहे थे और नीतीश खामोश थे. फिर गठबंधन के नाम को लेकर उन्होंने आपत्ति जतानी चाही तो उनको तवज्जो ही नहीं दी गई. 


अब बात नीतीश कुमार के सफाई की उन्होंने राजगीर में कहा कि उन्हें मलमास मेले का उद्घाटन करना था समय कम था इसलिए जल्दी वापस लौट गए लेकिन वह तो चार्टर्ड प्लेन से गए थे उनके पास तो समय की कोई कमी नहीं थी. अब नीतीश कुमार के साथ क्या हुआ उनकी बनाई रियासत पर कब्जा कांग्रेस ने जमा लिया. नीतीश को पता था कि राहुल गांधी को लेकर विपक्षी खेमे के सभी दल सहज नहीं है लेकिन बेंगलुरु में अचानक सोनिया गांधी का होना नीतीश के पूरे अरमानों पर पानी फेर गया. उन्होंने ही तो सभी दलों को एक मंच पर आने को राजी किया था. अब नीतीश की नाराजग देखिए पहले तो वह वहां प्रेस कांफ्रेंस से पहले निकल गए फिर पटना एयरपोर्ट पर भी मीडियासे कुछ नहीं कहा. यानी उनके पास वहां की बैठक को लेकर बताने के लिए कुछ खास नहीं था.