Bihar News: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का महिलाओं को लेकर दिया गया विवादित बयान हंगामे का कारण बन गया है. इस बयान ने केवल बिहार ही नहीं पूरे देश के सियासी तापमान का पारा बढ़ा दिया है. वैसे नीतीश का यह विवादों वाला रूप पुराने नीतीश से बिल्कुल अलग है. नीतीश के बयानों पर जिस तरह का हंगामा बरपा उसने नीतीश को बैकफुट पर आ गए. सठिया गए, शर्म करो, उम्र का असर है और अंतिम समय आ गया है जैसे बयानों ने नीतीश की नींद हराम कर दी और फिर मीडिया के सामने और सदन दोनों में उन्हें माफी मांगनी पड़ी. वह अपने बयानों पर माफी मांगने के साथ खुद पर शर्म भी महसूस भ कर रहे थे और स्वयं अपनी निंदा भी कर रहे थे. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING


हालांकि नए वाले सुशासन बाबू यानि महागठबंधन के साथ सरकार चलाने वाले नीतीश कुमार का यह सफर विवादों के साथ ही चलता रहा है. कभी अपने मंत्री मंडल के मंत्री की गर्दन पकड़ ली तो कभी मंत्री महोदय के साथ शोक सभा में पहुंचे तो अपने मंत्री के ऊपर फूल डालकर चल निकले. 


ये भी पढ़ें- BPSSC Recruitment: स्नातक पास हैं तो हो जाइए तैयार, इन पदों पर वैकेंसी, आवेदन करें!


पत्रकार ने नीतीश जी से अंग्रेजी में सवाल पूछ लिया तो भड़क उठे. नीतीश जी ने हिंदी के प्रयोग ना करने को लेकर पत्रकार को खूब खरी खोटी सुनाई थी. वहीं अपने मंत्री मंडल में राजद कोटे के मंत्री आलोक मेहता को मंच पर इसलिए फटकार लगाने लगे क्योंकि वह शिक्षक भर्ती का क्रेडिट अपनी पार्टी के नाम पर करने की कोशिश कर रहे थे. उन्होंने तब मंत्री को कहा था कि अपना और पार्टी का क्रेडिट लेने में मत लगे रहिए.


सितंबर के महीने में गांधी मैदान का वह नजारा याद ही होगा. नीतीश जी अपनी पार्टी के तमाम नेता और सरकार के मंत्रियों के साथ गांधी मैदान में थे. पत्रकारों ने सवाल पूछा तो उन्होंने पीछे मुड़कर देखा और फिर मंत्री अशोक चौधरी की गर्दन पकड़कर उसे जबरन मीडिया के सामने ला खड़ा किया. 


वहीं कुछ दिनों पहले नीतीश कुमार महागठबंधन सरकार में ही मंत्री अशोक चौधरी के पिता महावीर चौधरी की जयंती पर पहुंचे और यहां महावीर चौधरी की तस्वीर के सामने पहुंचकर पास रखे फूल को वहां तस्वीर पर नहीं चढ़ाकर वह फूलों की बारिश अशोक चौधरी पर करने लगे जिसे देखकर सभी लोग हैरान रह गए. लेकिन इस बार महिलाओं को लेकर दोनों सदनों में उन्होंने जिस तरह की बात की वह किसी के भी पचाए नहीं पच पा रहा था. ऐसी भाषा के प्रयोग की कल्पना तो कोई भी नहीं कर सकता है. ऐसे में साफ है कि नए वाले नीतीश कुमार कुछ तो अळग हैं. क्योंकि जो लोग पुराने वाले नीतीश कुमार को जानते हैं वह उनसे उस तरह की अमर्यादित भाषा की उम्मीद तो बिल्कुल नहीं करते हैं.