पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आरक्षण की सीमा बढ़ाने की मांग की है. उन्होंने कहा कि ईडब्लूएस को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला सही है. नीतीश कुमार ने कहा कि जो निर्णय आया है वो ठीक है लेकिन अब एक बार जातीय जनगणना हो जाए.


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दरअसल, मुख्यमंत्री से EWS आरक्षण को लेकर सवाल किया गया था. उन्होंने कहा कि 50 फीसदी आरक्षण का जो लिमिटेशन है उसमें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को हमलोग उनकी आबादी के हिसाब से आरक्षण देते हैं लेकिन बाकी ओबीसी और ईबीसी को आबादी के हिसाब से आरक्षण नहीं मिल पाता है. ऐसे में आरक्षण का जो 50 प्रतिशत का लिमिटेशन है उसे बढ़ना चाहिए.


सीएम ने कहा कि ईडब्लूएस को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला बहुत अच्छा है लेकिन जो 50 फीसदी की सीमाएं हैं उसको बढ़ाना चाहिए. उसके लिए जरूरी है कि पूरे देश में जातीय जनगणना हो जिससे पता चल सके कि किसकी कितनी आबादी है और उसको देखते हुए मदद की जाएगी. 


नीतीश कुमार ने कहा कि हमलोग बिहार में जाति आधारित गणना करा रहे हैं, इससे सभी लोगों की आर्थिक स्थिति का भी पता चलेगा चाहे वो किसी भी धर्म, जाति के हों.


वहीं जेडीयू ने सीएम के बयान का समर्थन किया है. मंत्री मदन सहनी ने कहा कि आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से बढ़नी चाहिए और केंद्र सरकार इस पर ध्यान दे. उन्होंने कहा कि बिहार सरकार जातीय जनगणना करवाने जा रही है, इसे केंद्र सरकार को भी करवाना चाहिए. जो लोग समाज में पिछड़े हैं उनको आरक्षण के जरिए आगे लाना चाहिए.


राजद ने भी आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से बढ़ाने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बयान का समर्थन किया है. राजद प्रवक्ता शक्ति यादव ने कहा है कि 50 फीसदी आरक्षण देने के बैरियर को तोड़ देना चाहिए. वहीं, बीजेपी नेता अरविंद सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री आरक्षण पर आरजेडी की भाषा बोल रहे हैं. कांग्रेस नेता आसीतनाथ तिवारी ने कहा कि आरक्षण की सीमा बढ़ाने पर बड़े विमर्श की जरूरत है.


इससे पहले सोमवार को पूर्व सीएम जीतनराम मांझी ने भी सुप्रीम कोर्ट के EWS आरक्षण के फैसले का स्वागत किया था और कहा कि अब 'जिसकी जितनी संख्या भारी उसको मिले उतनी हिस्सेदारी' का आदोलन शुरू होगा.'