Bihar Politics: पच्चीस में क्या तेजस्वी यादव का काम पैंतीस हो पाएगा? देखें आंकड़ों की जुबानी
Bihar Politics: 2025 के लिए नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव दोनों ही अपने-अपने दावे कर रहे हैं. अब किसके दावे में ज्यादा दम है? इसका निर्धारण तो जनता करेगी, लेकिन पिछले चुनावों के आंकड़ों से थोड़ा अंदाजा जरूर लगाया जा सकता है.
Bihar Politics: बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. इसके लिए सभी दलों ने अभी से अपनी-अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं. इसी कड़ी में राजद नेता तेजस्वी यादव ने दावा किया है कि वह 2025 में एनडीए की सरकार नहीं बनने देंगे. वहीं नीतीश कुमार अबकी बार 2010 का भी रिकॉर्ड तोड़ने का दम भर रहे हैं. अब किसके दावे में ज्यादा दम है, इसका विश्लेषण आंकड़ों के हिसाब से करते हैं. सबसे पहले तेजस्वी यादव के दावे को हकीकत के धरातल पर चेक करते हैं. 2020 में हुए विधानसभा चुनावों में तेजस्वी के नेतृत्व में राजद ने काफी दमदार प्रदर्शन किया था. 75 सीटें जीतकर राजद सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. बीजेपी को 74 सीटें मिली थीं. वहीं नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू 43 सीटों के साथ तीसरे नंबर पर खिसक गई थी.
इस चुनाव में आरजेडी को सबसे ज्यादा 22.14 फीसदी वोट शेयर हासिल हुआ था. वहीं बीजेपी को 20.52 फीसदी वोट मिले थे, जबकि जेडीयू को 18.52 फीसदी लोगों ने वोट किया था. उस वक्त अगर कांग्रेस भी थोड़ा अच्छा प्रदर्शन कर लेती तो तेजस्वी यादव सीएम भी बन जाते, लेकिन बीजेपी की मदद से नीतीश कुमार के सिर का ताज बरकरार रहा. नीतीश कुमार इधर-उधर भी गए तो भी सीएम की कुर्सी उनके पास ही रही. जेडीयू के इस बुरे प्रदर्शन में चिराग पासवान का सबसे बड़ा हाथ था. चिराग के नेतृत्व लोजपा ने 2020 का विधानसभा चुनाव एनडीए से अलग होकर लड़ा था. इस चुनाव में करीब 6 फीसदी वोट शेयर के साथ लोजपा को सिर्फ एक सीट मिली थी. लोजपा के अलग होने के कारण एनडीए का वोटर बंट गए और जेडीयू को कई सीटों का नुकसान हो गया.
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अब नीतीश कुमार और चिराग पासवान की दोस्ती तेजस्वी यादव के लिए बड़ा खतरा साबित हो रही है. एकजुट एनडीए के कारण हाल ही में हुए उपचुनाव में महागठबंधन का सूपड़ा साफ हो गया. इससे पहले नीतीश कुमार ने 2010 का विधानसभा चुनाव लोजपा के साथ मिलकर लड़ा था. उस वक्त आरजेडी सिर्फ 22 सीटों पर सिमट गई थी. लोजपा (रामविलास) ने दावा कर दिया कि आरजेडी 2010 में जिस स्थिति में थी 2025 के चुनाव के बाद उससे भी नीचे चली जाएगी. उपचुनाव में महागठबंधन की शर्मनाक हार में प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी भी अहम फैक्टर रही. इस उपचुनाव में पीके की पार्टी को करीब 10 फीसदी वोट हासिल हुए. इस बार पीके ने तेजस्वी यादव की लुटिया डुबो दी. हो सकता है कि 2025 में नीतीश कुमार की कहानी खराब दें.
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