Bihar Politics: बिहार के सियासी गलियारों में 'खेला होने' की बात खूब गूंज रही है. इस नारे की शुरुआत उस वक्त हुई थी जब नीतीश कुमार ने महागठबंधन से नाता तोड़कर एनडीए में वापसी की थी. उस वक्त लालू यादव के बेटे और पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने खेला होने की बात कही थी. हास्यास्पद तो ये था कि कांग्रेसी नेता भी यही राग अलाप रहे थे, जबकि उनके विधायकों को हैदराबाद शिफ्ट करना पड़ा था. वहीं एनडीए खेमे से भी ऐसी ही बयानबाजी चल रही थी. हर दल की नजर एक-दूसरे के विधायकों पर थी. महागठबंधन की तरफ से तेजस्वी ने मोर्चा संभाल रखा था. तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जेडीयू के वरिष्ठ नेता अशोक चौधरी को इसकी जिम्मेदारी सौंपी थी. बीजेपी की ओर से प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी भी इस गेम पर पैनी नजरें जमाए हुए थे और वह जब मैदान में उतरे तो सारे खिलाड़ी चारो खाने चित्त हो गए. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

सत्ता गंवाने के बाद राजद के युवराज यानी तेजस्वी यादव इन दिनों अपनी जन समर्थन यात्रा में निकालने में बिजी हैं. तो वहीं उनके प्रतिद्वंदी यानी डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी बड़ी खामोशी से अपनी रणनीति पर काम कर रहे हैं. सम्राट ने मंगलवार (27 फरवरी) को महागठबंधन में फिर से सेंधमारी करते हुए कांग्रेस के 2 और राजद का एक विधायक तोड़ लिया. मंगलवार की शाम को जब सम्राट विधानसभा पहुंचे तो उनके पीछे भगवा गमछा लटकाए राजद की विधायक संगीता कुमारी थीं. कांग्रेस के दो विधायक मुरारी गौतम और सिद्धार्थ सौरभ भी पीछे-पीछे चल रहे थे. तेजस्वी यादव और राहुल गांधी को खबर भी नहीं और तीनों विधायकों ने बीजेपी ज्वाइन कर ली.


ये भी पढ़ें- Bihar Politics: तेजस्वी जुटा रहे जन विश्वास तो खेला करने में बिजी हैं सम्राट, जानें कैसे ऑपरेशन लोटस को दिया गया अंजाम? 


सूत्रों के मुताबिक, एनडीए के अंदर अपनी ताकत साबित करने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निशाने पर कांग्रेस पार्टी थी. इसकी जिम्मेदारी उन्होंने अपने सबसे विश्वासपात्र नेता अशोक चौधरी को सौंप रखी थी. चूंकि सियासत में अशोक की प्राथमिक पाठशाला कांग्रेस थी. उनके पिता महावीर चौधरी बिहार कांग्रेस के कद्दावर नेता थे. खुद अशोक चौधरी भी बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं. मुख्यमंत्री को उनपर पूरा भरोसा था. हालांकि, वह कांग्रेस को तोड़ने में नाकामयाब रहे. उल्टा फ्लोर टेस्ट से पहले जेडीयू के कई विधायक लापता हो गए थे. राजनीतिक पंडितों का कहना है कि अगर बीजेपी मोर्चा ना संभालती तो नीतीश सरकार फ्लोर टेस्ट में गिर जाती. यही वजह है कि अशोक चौधरी से नाराज होकर नीतीश कुमार ने उन्हें अपनी कैबिनेट में शामिल नहीं किया. 


ये भी पढ़ें- Bihar Politics News: बागी विधायकों की सदस्यता खत्म कराएगी कांग्रेस, विधानसभा अध्यक्ष को लिखेगी चिट्ठी


वहीं राजद में टूट पर पत्रकारों ने जब राजद विधायक रामानुज प्रसाद से प्रतिक्रिया मांगी तो वह उबल पड़े. जब उनसे पूछा गया कि आपके नेता तेजस्वी यादव खेला की बात करते थे, ये तो आप ही के साथ खेला हो गया. इसके जवाब में रामानुज प्रसाद ने कहा कि हम इसी खेला की बात कर रहे थे. ये खेला ही हो रहा है. लोकतंत्र का चीरहरण हो रहा है. उन्होंने कहा कि हमारे विधायक टूटते नहीं, तोड़ लिए जा रहे हैं. धमका करके मोदी जी हमारे मुख्यमंत्री को तोड़ लिए. मोदी जी अजीत पवार को ले गए. शिंदे को ले गए. उन्होंने कहा कि चारों तरफ तनाव है. मॉब लिंचिंग है, पैसा लिंचिंग है, पावर लिंचिंग है. तो इसमें क्या कहा जाएगा?