Monsoon Session 2023: नई के लिए अभी इंतजार, पुरानी बिल्डिंग में होगा मॉनसून सत्र, छाए रहेंगे ये 7 मुद्दे
संसद के मॉनसून सत्र के लिए सरकार और विपक्ष पूरी तरह से तैयार है. दिल्ली अध्यादेश, मणिपुर हिंसा, महिला पहलवान और बालासोर रेल हादसे पर तीखी बहस देखने को मिल सकती है.
Parliament Monsoon Session 2023: संसद का मॉनसून सत्र 20 जुलाई से शुरू होने जा रहा है. जिसके लिए सरकार के साथ-साथ विपक्ष ने भी कमर कस ली है. संसद की नई बिल्डिंग के उद्घाटन के बाद माना जा रहा था कि इस बार नई बिल्डिंग में ही मानसून सत्र आयोजित किया जाएगा. हालांकि अभी इसके लिए इंतजार करना होगा. केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी ने सोमवार (03 जुलाई) को आगामी मॉनसून सत्र के स्थान को लेकर लग रही अटकलों पर विराम लगा दिया. उन्होंने साफ कर दिया कि संसद का मानसून सत्र पुरानी इमारत में शुरू होगा.
इससे पहले केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने 20 जुलाई से संसद का मॉनसून सत्र शुरू होने की घोषणा की थी. उन्होंने बताया था कि सत्र 11 अगस्त तक चलेगा. केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री सभी दलों से मॉनसून सत्र के दौरान विधायी व्यवसाय और अन्य विषयों पर सार्थक चर्चा में योगदान देने की अपील की थी. जोशी ने यह भी बताया था कि 23 दिनों तक चलने वाले इस सत्र में कुल 17 बैठकें होंगी. उन्होंने सभी दलों से सत्र के दौरान संसद के विधायी और अन्य कार्यों में रचनात्मक योगदान देने की अपील भी की थी.
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इस मॉनसून सत्र में कांग्रेस नेता राहुल गांधी दिखाई नहीं देंगे. अयोग्य होने की वजह से वो कार्यवाही में हिस्सा नहीं ले सकेंगे लेकिन कांग्रेस के तेवर वैसे ही आक्रामक दिख सकते हैं. सत्र के हंगामेदार रहने की उम्मीद इसीलिए भी है क्योंकि विपक्षी एकजुटता के प्रयास चल रहे हैं. दिल्ली अध्यादेश, मणिपुर हिंसा, विपक्षी नेताओं पर ईडी-सीबीआई कार्रवाई और समान नागरिक संहिता के मुद्दों पर तीखी बहस देखने को मिल सकती है. कांग्रेस की ओर से अडाणी मुद्दे पर JPC बनाने की मांग फिर से दोहराई जा सकती है.
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इस बार मॉनसून सत्र में बालासोर रेल हादसे पर चर्चा हो सकती है. विपक्षी दल इस हादसे के लिए भारतीय रेल के खराब मैनेजमेंट को जिम्मेदार मानते हैं और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के इस्तीफे की मांग पर अड़े हैं. कांग्रेस का आरोप है कि मोदी सरकार रेल सुरक्षा को गंभीरता से नहीं ले रही है. महिला पहलवानों से जुड़ा मुद्दा भी उठ सकता है. विपक्षी दल इस मुद्दे को लेकर शुरू से ही सरकार को घेरते आए हैं और आरोप लगाते रहे हैं कि भाजपा अपने सासंद बृजभूषण शरण सिंह को बचाने के लिए पहलवानों का अपमान कर रही है.