Bihar Politics: क्या बढ़ेगा पारस परिवार का `यश`? बिहार की राजनीति में बढ़ने जा रहा कुनबा
Family Politics: लालू प्रसाद यादव ने अपनी विरासत तेजस्वी और तेजप्रताप के अलावा मीसा भारती और रोहिणी आचार्य, रामविलास पासवान ने चिराग पासवान, शकुनी चौधरी ने सम्राट चौधरी तो जगदानंद सिंह ने अपने बेटों को सौंपी है, अब उसी तरह से पशुपति कुमार पारस भी अपने बेटे को राजनीति में लांच करने जा रहे हैं.
Bihar Politics: बिहार में एक और फैमिली अपना कुनबा बढ़ाने जा रही है. अगर ऐसा होता है तो नई पीढ़ी में एक और नेता की राजनीति में एंट्री हो जाएगी. इस तरह तेजस्वी यादव, चिराग पासवान, सम्राट चौधरी, चेतन आनंद जैसे युवा चेहरों में एक और चेहरा बढ़ जाएगा. यह चेहरा कोई और नहीं, राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के प्रमुख पशुपति कुमार पारस के बेटे यशराज होंगे. अब देखना यह है कि यशराज अपनी पार्टी को कितना आगे तक ले जाते हैं. राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी ने अब पूरे प्रदेश में अपनी सक्रियता बढ़ाते हुए राज्य की सभी 243 सीटों पर चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है. बताया जा रहा है कि पशुपति कुमार पारस अपने बेटे यशराज को विरासत की राजनीति सौंपने को लेकर मंथन शुरू कर दिया है.
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इस समय पशुपति कुमार पारस की पार्टी न तो एनडीए और न ही इंडिया के साथ नजर आ रही है. पटना में 19 और 20 नवंबर को हुई पार्टी की बैठक में सभी 243 सीटों पर तैयारी शुरू करने का निर्णय ले लिया है. बैठक में पार्टी कार्यकर्ताओं से 28 नवंबर को लोजपा के स्थापना दिवस पर संस्थापक रामविलास पासवान के पैतृक गांव शहरबन्नी पहुंचने की अपील की गई है. पारस की पार्टी शहरबन्नी में ही लोजपा का स्थापना दिवस मनाएगी.
बताया जा रहा है कि पशुपति कुमार पारस के बेटे यशराज ने अलौली से विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी शुरू कर दी है. उन्होंने कहा कि स्थापना दिवस समारोह के बाद अलौली विधानसभा क्षेत्र के गांव-गांव जाएंगे. पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रवण कुमार अग्रवाल ने बताया, अलौली की जनता यशराज को अगले विधानसभा चुनाव में लड़ाना चाहती है. वैसे, पार्टी में इसका निर्णय संसदीय बोर्ड करेगा. उन्होंने कहा कि पार्टी ने फिलहाल 243 सीटों पर चुनावी तैयारी शुरू कर दी है.
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यशराज को पारस की विरासत संभालने से जुड़े प्रश्न पर उन्होंने कहा, उनके खून में राजनीति है और उनको राजनीति की समझ भी है. अलौली की जनता भी उन्हें पसंद करती है. पारस खुद भी यहां से विधायक रह चुके हैं. ऐसे में अगर उनके बेटे चुनाव लड़ते हैं तो क्या बुराई है?