Bihar Reservation Bill: बिहार विधानसभा में आरक्षण संशोधन विधेयक गुरुवार को सर्वसम्मति से पास हो गया. बिहार कैबिनेट ने एससी, एसटी, अन्य पिछड़ा वर्ग, अत्यंत पिछड़ा वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) के लिए कोटा मौजूदा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर कुल 75 प्रतिशत करने का प्रस्ताव पारित किया था. सर्वेक्षण के निष्कर्षों के आधार पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ओबीसी और ईबीएस के आरक्षण को 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 43 प्रतिशत, अनुसूचित जाति (एससी) के लिए 16 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत और 2 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति (एसटी) 1 प्रतिशत करने की सिफारिश की थी.


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ईडब्ल्यूएस के लिए कोटा मौजूदा 10 फीसदी ही रहेगा. जाति सर्वेक्षण रिपोर्ट से पता चला है कि राज्य की कुल आबादी 13.07 करोड़ में ओबीसी (27.13 प्रतिशत) और अत्यंत पिछड़ा वर्ग उप-समूह (36 प्रतिशत) की हिस्सेदारी 63 प्रतिशत है, जबकि एससी और एसटी कुल मिलाकर 21 प्रतिशत से थोड़ा अधिक हैं. संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी की तरफ से विधानसभा में पेश की गई रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में लगभग 2.97 करोड़ परिवार हैं, जिनमें से 94 लाख से अधिक (34.13 प्रतिशत) 6,000 रुपये या उससे कम मासिक आय पर रहते हैं.


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इस दौरान बीजेपी के विधायक ने कहा कि जितना दिया गया है आरक्षण उससे ज्यादा दिया जाए, दूसरे राज्यों में 79 फीसदी तक आरक्षण है. संशोधन 2023 पर विचार का प्रस्ताव स्वीकृत किया गया. बीजेपी के नंदकिशोर यादव ने कहा कि इसमें जो संसय है उसे दूर कर दें वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि बीजेपी के लोग जो कह रहे हैं वह सही है, लेकिन जो उलझन की बात कह रहे हैं वह फिजूल है अलग अधिनियम से यह अच्छादित होता है जो विचारार्थ है वह 65 फीसदी का है 10 फीसदी तो केंद्र का मामला है अगड़ी जाति के सवर्ण का जो सामान्य कोटे से आते हैं. यह दूसरे कोटे अधिनियम से अच्छादित है जो संशोधन है वह बिल के नाम से ही स्पष्ट है बीजेपी ने अपना संशोधन वापस ले लिया.