Bihar Politics: क्या है नियम 290 की कंडिका 10 (घ), जिसके कारण चली गई MLC सुनील की विधायकी
Bihar Politics: समिति ने बताया है कि विपक्ष के मुख्य सचेतक के नाते डा. सुनील कुमार सिंह विधायी जिम्मेदारी नीतियों, नियमों और सदन के संवैधानिक प्राधिकार के प्रति अधिक होनी चाहिए, लेकिन अपने आचार और व्यवहार में इन्होंने इसका पालन नहीं किया.
MLC Sunil Singh Terminated: राजद के MLC डॉ. सुनील कुमार सिंह की बिहार विधान परिषद से सदस्यता समाप्त कर दी गई है. विधान परिषद की आचार समिति की अनुशंसा शुक्रवार (26 जुलाई) को पारित कर दी गई. सदन के आचार समिति की रिपोर्ट पर सभापति अवधेश नारायण सिंह ने कार्रवाई का आदेश दिया है. जिसके बाद सुनील सिंह अब विधान परिषद के सदस्य नहीं रहे. बता दें कि सुनील सिंह पर यह कार्रवाई सदन में बजट सत्र के दौरान के मुख्यमंत्री का मिमिक्री करके मजाक उड़ाने के मामले में की गई है. यह प्रकरण 13 फरवरी को बजट सत्र के दौरान राज्यपाल के अभिभाषण पर वाद-विवाद के दौरान हुआ था. सुनील सिंह को सदन में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ अशोभनीय व्यवहार करने का दोषी पाया गया है. इस मामले में भीष्म साहनी की मांग पर जांच समिति बनाई गई थी. अब सवाल ये है कि आखिर किस नियम के तहत सुनील सिंह पर यह कार्रवाई हुई है.
सुनील कुमार सिंह पर सीएम नीतीश कुमार को लेकर मिमिक्री करने का आरोप था. इसी मामले में जांच रिपोर्ट के आधार पर सुनील सिंह और कारी सोहेब को दोषी पाया गया. सुनील की सदस्यता रद्द कर दी गयी और कारी सोहेब को अगले सत्र तक निलंबित कर दिया गया है. विधान परिषद की आचार समिति को जांच सौंपी गई थी. समिति के अध्यक्ष व उप सभापति प्रोफेसर रामवचन राय ने अपनी रिपोर्ट सौंपी. इस रिपोर्ट में सुनील सिंह को दोषी ठहराया गया. समिति ने रिपोर्ट में कहा है कि डॉ. सुनील कुमार सिंह ने सदन में अपने असंसदीय आचरण और अमर्यादित व्यवहार से सदन के सदस्य बने रहने की पात्रता खो दी है.
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ऐसे में बिहार विधान परिषद की प्रक्रिया एवं कार्य संचालन नियमावली के नियम 290 की कंडिका 10 (घ) के अधीन समिति सर्वसम्मति/बहुमत से अनुशंसा की गई. इसी के साथ सुनिल की सदस्यता समाप्त होने के बाद वर्ष भर के अंदर राजद की ओर से विधान परिषद में सदस्यता गंवाने वाले दूसरे सदस्य के रूप में नाम जुड़ जाएगा. इससे पहले राजद की अनुशंसा पर रामबली सिंह सदस्यता समाप्त कर दी गई थी.