लोकसभा चुनाव 2024 और उसके एक साल बाद विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर बीजेपी कोई भी कोर कसर बाकी नहीं छोड़ना चाहती. दो दिन पहले नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने अपनी टीम की घोषणा की तो कुशवाहा समाज के लोगों की भारी भीड़ इकट्ठा कर ली थी. कयास लगाए जाने लगे कि उपेंद्र कुशवाहा के जाने से हुए नुकसान की भरपाई के लिए नीतीश और ललन ने यह रणनीति अपनाई है. अब 2 ​दिन बाद जब बीजेपी ने अपने नए प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा की तो पता चला कि यह नहले पर दहला वाली चाल है. दरअसल, बीजेपी ने कुशवाहा समाज से आने वाले सम्राट चौधरी को नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त कर दिया है. इससे पहले संजय जायसवाल बिहार बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष होते थे. उनका कार्यकाल नवंबर 2022 में ही खत्म हो गया था. पिछले कुछ उपचुनाव में रुझान मिले थे कि कुशवाहा समाज की पहली पसंद बीजेपी बन रही है. 


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विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष सम्राट चौधरी को बिहार बीजेपी का अध्यक्ष बनाकर बीजेपी ने बड़ा दांव खेला है. एक तरफ उपेंद्र कुशवाहा बीजेपी और एनडीए के पाले में आते दिख रहे हैं और दूसरी ओर सम्राट चौधरी के प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने से कुशवाहा समाज का वोट बहुतायत में मिल सकता है. एक और बड़ी बात यह है कि सम्राट चौधरी को राजनीति विरासत में मिली है और वे लालू प्रसाद और नीतीश कुमार के पुराने सहयोगी रहे शकुनी चौधरी के बेटे हैं. जब नीतीश कुमार और जॉर्ज फर्नांडीस ने समता पार्टी बनाई थी तो शकुनी चौधरी ने भी नीतीश कुमार का साथ दिया था. 


सम्राट चौधरी एनडीए सरकार में पंचायती राज मंत्री थे और वे इससे पहले जेडीयू और राजद दोनों दलों में रह चुके हैं. 2014 में चौधरी राजद छोड़ जेडीयू में शामिल हुए थे और उसके बाद उन्हें एमएलसी और फिर मंत्री बनाया गया था. सम्राट चौधरी 1999 में सबसे कम उम्र के मंत्री भी रह चुके हैं. सम्राट चौधरी ने 2000 और 2010 में परबत्ता विधानसभा चुनाव जीता था. 2018 में वे बीजेपी में शामिल हुए थे. सम्राट चौधरी का जन्म 1968 में हुआ था. उनके पिता शकुनी चौधरी भी छह बार विधायक और एक बार सांसद रह चुके हैं. 


राजनीतिक जानकार बता रहे हैं कि बीजेपी ने बिहार में सम्राट चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर बड़ा दांव खेला है. अगले साल यानी 2024 में लोकसभा चुनाव होना है और बिहार में 40 लोकसभा सीटें हैं. बीजेपी धीरे धीरे लोकसभा चुनाव की तैयारियों में व्यस्त होती जा रही है. सम्राट चौधरी के प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने और उपेंद्र कुशवाहा के एनडीए के पाले में आने से राज्य का कुशवाहा वोटर पूरी तरह एनडीए के पक्ष में आ सकता है. बताया जा रहा है कि राज्य में यादवों के बाद ओबीसी में सबसे अधिक संख्या कुशवाहा वोटरों की है. यादव तो राजद के साथ जाएंगे, इसमें कोई दोराय नहीं है. तो कुशवाहा वोटरों को लुभाने के लिए बीजेपी ने मास्टर स्ट्रोक चल दिया है.