One Nation One Election News: पीएम मोदी की ड्रीम योजना 'वन नेशन-वन इलेक्शन' पर पिछले कार्यकाल में खूब चर्चा हुई थी, लेकिन 2024 के चुनाव के बाद इस पर कोई बात नहीं हो रही है. इसे देखते हुए जेडीयू के राज्यसभा सांसद संजय झा ने इस मुद्दे को सदन में उठाया और सरकार से पूछा कि यह योजना आखिर कब तक देश में लागू होगी. संजय झा ने कहा कि हम लोग इस कमेटी में जाकर इसके पक्ष में ही बात रखी थी. इसका रिपोर्ट पब्लिक डोमेन में कब आएगा और अगले लोकसभा इलेक्शन तक इसको इंप्लीमेंट करने का कोई प्लान है या नहीं? राज्यसभा में इस सवाल का जवाब केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने दिया. 


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मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बताया कि 'एक देश, एक चुनाव' विषय पर गठित पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति ने अपनी रिपोर्ट महामहिम राष्ट्रपति महोदया को सौंप दी है. रिपोर्ट के मुताबिक, कुल 62 राजनीतिक दलों से राय मांगी गई थी, जिनमें से 47 दलों ने जवाब दिया. इनमें 32 दलों ने 'वन नेशन वन इलेक्शन' का समर्थन किया है, जबकि 15 दलों ने इसका विरोध किया है. इसके क्रियान्वयन से संबंधित कानूनी पहलुओं पर विचार किया जा रहा है. अब सवाल ये है कि आखिर वो कौन-कौन सी पार्टियां हैं, जिन्होंने इस बिल का विरोध किया है.


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पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, बसपा ने भी 'वन नेशन-वन इलेक्शन' के प्रस्ताव का विरोध किया है. हाईकोर्ट के तीन रिटायर्ड जजों ने भी इस प्रस्ताव पर अपनी असहमति जताई. विरोध करने वाले जजों में दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस अजीत प्रकाश शाह, कलकत्ता हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस गिरीश चंद्र गुप्ता और मद्रास हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस संजीब बनर्जी शामिल हैं. हालांकि, हाईकोर्ट के 9 पूर्व मुख्य न्यायाधीशों ने प्रस्ताव का समर्थन किया है. बता दें कि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में 'वन नेशन-वन इलेक्शन' पर विचार के लिए एक कमेटी बनाई गई थी. इस कमेटी ने 14 मार्च 2024 को 18,626 पन्नों की एक रिपोर्ट वर्तमान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपी थी.