Seraikela Assembly Seat: भाजपाई हो गए पूर्व CM चंपई सोरेन, क्या अब सरायकेला में खिलेगा `कमल`?
Seraikela Assembly Seat: सरायकेला सीट वीवीआईपी सीटों में शुमार है. यहां से पूर्व सीएम चंपई सोरेन चुनाव लड़ते हैं. वह 1991 से चुनाव लड़ रहे हैं और 2000 में हुए झारखंड विधानसभा चुनाव को छोड़कर उन्हें कभी हार का सामना नहीं करना पड़ा है.
Seraikela Assembly Seat Profile: कोल्हान टाइगर के नाम से मशहूर चंपई सोरेन जेएमएम छोड़कर भाजपाई हो गए हैं. उनके आने से बीजेपी काफी खुश है. हालांकि, अब सवाल ये है कि बीजेपी में आने के बाद क्या कोल्हान के आदिवासी चंपई को उतना ही प्यार और सम्मान देंगे? क्या वे झारखंड में कुछ नया और करिश्माई कर पाएंगे? यह सवाल इसलिए भी कि दल छोड़ कर भाजपा ज्वाइन करने वाली शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन या फिर मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा भी कुछ कमाल नहीं कर सकीं. वहीं बीजेपी नेताओं का मानना है कि चंपई सोरेन के आने से पार्टी को काफी फायदा होगा और पार्टी आने वाले विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करेगी. बता दें कि चंपई सोरेन कोल्हान क्षेत्र से आते हैं और इस क्षेत्र में 14 विधानसभा सीटें शामिल हैं, जिनमें चंपई का निर्वाचन क्षेत्र सरायकेला है.
2019 के चुनावों में कोल्हान बेल्ट में बीजेपी का खाता भी नहीं खुला था. इस क्षेत्र की 11 सीटें जेएमएम ने जीती थीं तो वहीं 2 सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली थी, जबकि एक सीट एक निर्दलीय ने जीती थी. सरायकेला से झारखंड मुक्ति मोर्चा की टिकट पर चंपई सोरेन ने जीत हासिल की थी. चंपई सोरेन ने बीजेपी के गणेश महली को 15 हजार 667 वोटों से मात दी थी. इस चुनाव में चंपई सोरेन को 1,11,554 वोट मिले. वहीं गणेश महली को 95,887 वोट हासिल हुए थे. 2014 के विधानसभा चुनाव में भी यहां से झारखंड मुक्ति मोर्चा से चंपई सोरेन ने जीत दर्ज की थी.
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सरायकेला से चंपई सोरेन को 6 बार विधानसभा जाने का मौका मिला है. वह पहली बार वर्ष 1991 के सरायकेला विधानसभा क्षेत्र से उपचुनाव में बतौर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज की थी और विधायक बने थे. इस चुनाव में चंपाई सोरेन ने सिंहभूम के तत्कालीन सांसद कृष्णा मार्डी की पत्नी मोती मार्डी को हराया था. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. वर्ष 1995 के विधानसभा चुनाव में झामुमो के टिकट पर चुनाव लड़ कर बीजेपी के पंचु टुडू को 15246 वोट से हराकर फिर से विधायक बने थे. हालांकि, 2000 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी लहर के कारण अनंत राम टुडू के हाथों पहली बार चंपई सोरेन को 8783 वोटों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद से वह लगातार जीतते आ रहे हैं. हेमंत सोरेन ने जेल जाने से पहले उन्हें सीएम बनाया था, लेकिन जेल से आते ही सीएम की कुर्सी से उतार दिया. ये बात उन्हें बुरी लग गई और उन्होंने इस अपमान के लिए जेएमएम छोड़कर बीजेपी ज्वाइन कर ली.
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