Harivansh Narayan Singh News: NDA से नाता तोड़ने के बाद से नीतीश कुमार को बीजेपी फुटी आंख भी नहीं सुहा रही है. बिहार या अन्य सभी मसलों पर भाजपा और नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू आमने-सामने हो जाती हैं. चाहे वो विपक्षी दलों का नया गठबंधन हो, नई संसद का उद्घाटन हो या फिर दिल्ली सेवा बिल ही क्यों न हो. जेडीयू की ओर से बीजेपी का कड़ा विरोध किया गया है. लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर भी जेडीयू के सांसद पीएम मोदी और उनकी सरकार की नीतियों पर बरसने वाले हैं. लोकसभा में पिछले हफ्ते गृह मंत्री अमित शाह और जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के बीच नोकझोंक भी जगजाहिर है. लेकिन इन सबके बावजूद भाजपा ने बड़ी ही चालाकी ने दिल्ली सेवा बिल पारित होने या यूं कहें कि अपनी जीत की घोषणा जेडीयू के ही सांसद से करवा दी. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING


हम बात कर रहे हैं राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश की, जिन्होंने दिल्ली सेवा बिल पर वोटिंग के बाद बिल के पारित होने या एनडीए की जीत का ऐलान किया. उपसभापति हरिवंश ने कहा- दिल्ली सेवा बिल पर एनडीए के पक्ष में 131 तो विपक्ष में 102 सांसदों के वोट पड़े हैं. इसलिए यह बिल सदन से पारित हो गया है. हरिवंश राज्यसभा के उपसभापति होने के अलावा जेडीयू के सांसद भी हैं. बता दें कि जेडीयू ने अपने सभी सांसदों के लिए दिल्ली सेवा बिल को लेकर व्हिप जारी किया था. इसमें हरिवंश नारायण सिंह भी शामिल थे, लेकिन बीजेपी के फ्लोर मैनेजमेंट का कमाल देखिए कि हरिवंश ने बिल पर वोटिंग में हिस्सा भी नहीं लिया और सरकार की जीत का ऐलान भी कर दिया. 


ये भी पढ़ें- Pramod Chandravanshi: बीजेपी ने CM नीतीश को दिया बड़ा झटका, JDU छोड़ भाजपाई हुए प्रमोद चंद्रवंशी


यह दूसरा मौका है जब बीजेपी ने राज्यसभा के उपसभापति के बहाने नीतीश कुमार को एक तरह से चिढ़ाने का काम किया है. बीजेपी का फ्लोर मैनेजमेंट चाहता तो राज्यसभा के सभापति ओमप्रकाश धनखड़ ही वोटिंग के समय मौजूद रहते और उस स्थिति में उपसभापति हरिवंश को वोट देने के लिए बाध्य होना पड़ता, क्योंकि जेडीयू ने व्हिप जारी कर दिया था. ऐसे में बीजेपी ने ऐसी चाल चली कि विपक्ष का एक वोट कम भी हो गया और बीजेपी या एनडीए सरकार के पक्ष में 2 वोट एक्सट्रा भी आ गए. 


ये भी पढ़ें- Bihar Politics: हरिवंश नारायण सिंह ने दूसरी बार नहीं मानी पार्टी की बात, अब क्या करेंगे नीतीश कुमार?


बीजेपी के रणनीतिकारों ने वोटिंग के समय उपसभापति हरिवंश को आसन पर आसीन करा दिया. राज्यसभा के नियमों के अनुसार, आसन पर मौजूद व्यक्ति वोटिंग में हिस्सा नहीं ले सकता. आसन पर मौजूद व्यक्ति वोटिंग में तभी शामिल हो सकता है, जब वोट टाई हो जाए यानी दोनों पक्षों का वोट बराबर हो जाए. ऐसी नौबत दिल्ली सेवा बिल पर आई ही नहीं और भारी बहुमत से बिल पारित हो गया. ऐसे में बीजेपी ने ऐसा गेम खेला कि सांप भी मर गया और लाठी भी नहीं टूटी. मतलब यह कि उपसभापति हरिवंश पर व्हिप का नियम भी लागू नहीं हुआ और विपक्ष का एक वोट कम भी हो गया.