IRCTC घोटाले में तेजस्वी को राहत, जमानत पर नहीं आई कोई `आफत`
तेजस्वी यादव को IRCTC टेंडर घोटाला मामले में कोर्ट से राहत तो मिल गई, लेकिन उन्हें कोर्ट के सामने पेश होकर अपनी सफाई पेश करनी पड़ी. दरअसल ये पूरा मामला सीबीआई की तरफ से कोर्ट में एक याचिका दायर करने के बाद शुरू हुआ था.
पटना : मंगलवार 18 अक्टूबर को बिहार के उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में पेशी हुई. तेजस्वी यादव और उनकी पार्टी के लिए ये बड़े इम्तिहान की घड़ी थी, लेकिन वो इससे सफलतापूर्वक पार पा गए. CBI की विशेष अदालत में तेजस्वी यादव की जमानत रद्द करने की अपील खारिज हो गई और इसी के साथ RJD के दफ्तर में जश्न मनाया जाने लगा. विशेष अदालत ने तेजस्वी यादव की जमानत बरकरार रखी और उन्हें कुछ हिदायत के साथ राहत दे दी. हालांकि इसे लेकर बिहार की राजनीति में बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है.
CBI ने की थी तेजस्वी की शिकायत, कोर्ट में की थी जमानत रद्द करने की अपील
बता दें कि तेजस्वी यादव को IRCTC टेंडर घोटाला मामले में कोर्ट से राहत तो मिल गई, लेकिन उन्हें कोर्ट के सामने पेश होकर अपनी सफाई पेश करनी पड़ी. दरअसल ये पूरा मामला सीबीआई की तरफ से कोर्ट में एक याचिका दायर करने के बाद शुरू हुआ था. अगस्त महीने में बिहार में जब सरकार बदली तो नई महागठबंधन सरकार में तेजस्वी यादव उप-मुख्यमंत्री बने. नई सरकार के शपथ ग्रहण के कुछ ही दिन बाद तेजस्वी यादव के आवास पर सीबीआई का छापा पड़ा. इसके बाद तो तेजस्वी यादव और उनकी पार्टी RJD बौखला गई. इस दौरान तेजस्वी यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस छापे के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली थी. ये पूरा वाकया 25 अगस्त को हुआ था.
तेजस्वी यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में केन्द्र सरकार के साथ जांच एजेंसी को भी निशाने पर लिया था. उन्होंने इनकम टैक्स विभाग, प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी और सीबीआई को केन्द्र सरकार के इशारे पर चलने वाली एजेंसी करार दिया था. तेजस्वी यादव ने कहा था कि 'सीबीआई के अधिकारी केन्द्र सरकार के इशारे पर बार-बार छापा मारने चले आते हैं. उनके पास किसी तरह का कोई सुबूत नहीं होता. ये अधिकारी शायद भूल गए हैं कि इनका भी परिवार है. इनके भी मां-बेटे हैं. ये क्या जीवन भर अधिकारी बने रहेंगे. क्या ये कभी रिटायर नहीं होंगे. क्या केन्द्र में हमेशा इसी पार्टी की सरकार रहेगी.
तेजस्वी यादव के इसी बयान को सीबीआई ने आधार बनाकर कोर्ट का रुख किया. सीबीआई का कहना था कि तेजस्वी यादव ने एजेंसी के अधिकारियों को धमकी दी और इशारों में उन्हें अंजाम भुगतने की चेतावनी दी. सीबीआई ने कोर्ट से तेजस्वी यादव की जमानत रद्द करने की अपील की. CBI ने कोर्ट में दायर याचिका में कहा कि 'प्रदेश में सरकार के बदलते ही तेजस्वी यादव धमकाने लगे हैं. उप-मुख्यमंत्री बनने के बाद जब वो CBI अधिकारियों को धमका सकते हैं तो IRCTC घोटाला केस के गवाहों को भी प्रभावित कर सकते हैं. वो अपनी जमानत का नाजायज फायदा उठा रहे हैं. ऐसे में उनकी जमानत रद्द कर देनी चाहिए.
'धमकी' वाले बयान पर मिली फटकार, सोच-समझकर बोलने की नसीहत
CBI जब तेजस्वी यादव पर धमकी का आरोप लगाकर कोर्ट पहुंची तो कोर्ट ने तेजस्वी यादव को तलब कर लिया. तेजस्वी यादव को कोर्ट में पेश होकर अपना पक्ष रखने को कहा गया. मंगलावर 18 अक्टूबर को तेजस्वी यादव की कोर्ट में पेशी हुई और धमकी देने के आरोप को लेकर दोनों पक्षों में जिरह हुई. कोर्ट में तेजस्वी यादव के वकील ने कहा कि 'तेजस्वी यादव के बयान में कहीं भी धमकाने जैसा कोई इरादा नहीं था. उनके बयानों का गलत मतलब निकाला गया. अगर सीबीआई को लगता था कि तेजस्वी यादव ने धमकी दी है तो सीबीआई को पुलिस में एफआईआर दर्ज करानी चाहिए थी.
इस मामले में स्पेशल कोर्ट ने सीबीआई का भी पक्ष सुना और दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुनाया. कोर्ट ने बिहार के उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को हिदायत दी. कोर्ट ने तेजस्वी यादव से कहा कि 'आप एक जिम्मेदार पद पर हैं. आप एक प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री हैं. आपकी बातें लोग सुनते हैं और उसका असर होता है. आपको सोच-समझकर बोलना चाहिए. आपकी कही हुई बातों के लोग कई मतलब निकालेंगे. आप अपने बयानों को खुद सुनिए और बताइए कि क्या ऐसे बयान आपको शोभा देते हैं. कोर्ट ने कहा कि 'हम आपकी बेल रिजेक्ट नहीं कर रहे हैं क्योकि इसका कोई आधार नहीं है, लेकिन आगे से आप बयान देने से पहले ध्यान रखें. अगर आपका कोई बयान इस तरह का आया जिसका गलत मैसेज जाता है तो कोर्ट उस पर संज्ञान लेगी.
विपक्ष ने कहा, 'तेजस्वी आदत से हैं लाचार', वॉर्निंग होगी असरदार!
तेजस्वी यादव को कोर्ट से राहत मिलते ही RJD ने जश्न मनाना शुरू कर दिया. पार्टी दफ्तर में लड्डू बांटे जाने लगे. इससे विपक्ष ने तेजस्वी यादव पर और जोर का हमला बोल दिया. BJP नेताओं ने कहा कि 'लड्डू ऐसे बांटे जा रहे हैं जैसे तेजस्वी यादव को कोर्ट ने मामले से बरी कर दिया हो. वो घाटाले के एक गंभीर मामले के आरोपी हैं. उन्हें धमकी देने के मामले में कोर्ट में पेश होकर सफाई देनी पड़ी. ये प्रदेश के लिए शर्म की बात है कि उप-मुख्यमंत्री को कोर्ट में सफाई देनी पड़ी कि उन्होंने अधिकारियों को धमकी नहीं दी है. कोर्ट ने उन्हें पहली बार की गलती मानकर चेतावनी देकर छोड़ दिया, लेकिन RJD के लोग इसे जश्न के तौर पर मना रहे हैं. जबकि तेजस्वी यादव को तो तत्काल अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए.
कहते हैं कि जुबान किसी भी इंसान के शरीर का वो हिस्सा है, जो जब चलती है तो उसका परिणाम कुछ भी हो सकता है. इंसान की जुबान उसे सबका प्रिय भी बना सकती है और पल भर में सबका शत्रु भी बना सकती है. यूं समझिए कि जुबान में इतनी ताकत है कि पल भर में आपको सारी मुसीबतों से उबार सकती है और कभी आपको मुसीबतों के समंदर में धकेल सकती है.
जुबान की खूबियों और खामियों को आम इंसान बखूबी समझता है, लेकिन शायद सियासत करने वालों के लिए ये जुबान एक मजबूत हथियार होता है. वो इसी जुबान के जरिए अपना हित साधने की जुगत लगाते हैं. फिलहाल तेजस्वी यादव को कोर्ट से राहत मिल गई है. उन्हें फिजूल की बयानबाजी से बचने की हिदायत दी गई है. हालांकि देखना होगा कि कोर्ट की वॉर्निंग कितनी असरदार साबित होती है.