Muslim Politics: देवगौड़ा के बाद तेलंगाना में ओवैसी की मुस्लिम राजनीति को झटका, ममता, अखिलेश और नीतीश-तेजस्वी क्या करेंगे?
Muslim Politics: मुसलमानों की राजनीति करने वाले असदुद्दीन ओवैसी के लिए तेलंगाना के नतीजों ने बड़ा झटका दिया है. यूपी, बंगाल के बाद अब तेलंगाना में भी मुसलमानों ने ओवैसी का साथ नहीं दिया. इतना ही नहीं ओवैसी भाईजान को हैदराबाद के मुसलमानों ने अकेला छोड़ दिया है. इस बार AIMIM यहां सिर्फ 5 सीटों पर आगे चल रही है.
Muslim Politics: मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में आज मतगणना (Assembly Election Result 2023) जारी है. रुझानों में हिंदीभाषी तीनों राज्य (एमपी, छत्तीसगढ़ और राजस्थान) में बीजेपी का कमल खिल रहा है. वहीं दक्षिण भारतीय राज्य तेलंगाना में बड़ा उलटफेर देखने को मिल रहा है. तेलंगाना की सत्ता से कांग्रेस ने केसीआर को बाहर कर दिया है. तेलंगाना के रिजल्ट AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी के लिए भी चौंकाने वाले हैं. बीआरएस को असदुद्दीन ओवैसी का साथ भी नहीं बचा सका. बता दें कि हमेशा मुसलमानों की राजनीति करने वाले ओवैसी का तो तेलंगाना गृह राज्य है.
हैदराबाद में तो उनकी पार्टी AIMIM का डंका बजता था. हैदराबाद की सीट पर दशकों से ओवैसी का परिवार राजनीति करता रहा है. ओवैसी के पिता भी इस सीट से लोकसभा पहुंच चुके हैं. ओवैसी खुद हैदराबाद से सांसद हैं. 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में AIMIM ने यहां की 7 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इस बार सिर्फ 5 सीटों पर ही AIMIM प्रत्याशी आगे चल रहे हैं. असदुद्दीन के भाई अकबरुद्दीन ओवैसी को छोड़कर कोई भी प्रत्याशी ज्यादा मार्जिन से आगे नहीं चल रहा है. अकबरुद्दीन चंद्रयानगुट्टा सीट से प्रत्याशी हैं.
इन चुनावों से साफ दिख रहा है कि ओवैसी भाईजान पर अब हैदराबाद के मुसलमानों को भरोसा नहीं रहा. उधर कांग्रेस पार्टी एक बार फिर से मुस्लिम वोटर्स का भरोसा जीतने में कामयाब होती दिख रही है. लोकसभा चुनाव 2024 को देखते हुए कांग्रेस पार्टी के लिए ये अच्छी खबर है. वहीं इससे सपा, बसपा, राजद, जदयू और टीएमसी क्षेत्रीय दलों को टेंशन दे दी है. पिछले कुछ विधानसभा चुनावों को देखें तो यूपी में मुसलमानों का एकमुश्त वोट सपा को मिला था. वहीं बिहार में राजद को बड़ी संख्या में मुस्लिम वोट हासिल हुआ था. बंगाल के मुसलमानों ने ममता पर भरोसा जताया था. इनकी बदौलत ही सपा-बसपा को छोड़कर बाकी ये सभी क्षेत्रीय दल सत्तासुख भोग रहे हैं. हालांकि, अब अगर मुसलमानों ने कांग्रेस में वापसी कर ली तो इन क्षेत्रीय दलों की हालत पतली हो जाएगी.