New BJP President: बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा को पीएम मोदी ने इस बार अपनी कैबिनेट में जगह दी है. मोदी कैबिनेट 3.0 में नड्डा के शामिल होने के बाद एक बात साफ हो गई है कि अब किसी नए चेहरे को बीजेपी की कमान दी जाएगी. पार्टी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की खोज तेज हो चुकी है. बीजेपी अध्यक्ष की रेस में कई ऐसे नाम चल रहे हैं, इनमें विनोद तावड़े, बीएल संतोष, सुनील बंसल, फग्गन सिंह कुलस्ते, केशव प्रसाद मौर्या आदि का नाम अध्यक्ष पद की रेस में है. अगर व्यक्तिगत सफलताओं को पैमाना बनाया जाए तो विनोद तावड़े का नाम रेस में सबसे आगे चल रहा है. हालांकि, मोदी-शाह युग की इस बीजेपी में अंदर फैसले इतने गोपनीय और अविश्वसनीय होते हैं कि राजनीतिक विश्लेषक भी चकरा जाते हैं. 


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बीजेपी के मानदंडों पर खरे उतरे


शाह के शागिर्द कहे जाने वाले विनोद तावड़े का कद बीजेपी में बड़ी तेजी बढ़ रहा है. बीजेपी ने विनोद तावड़े को बिहार का इंचार्ज उस वक्त बनाया था, जब नीतीश कुमार धोखा देकर महागठबंधन के साथ चले गए थे. ऐसे मुश्किल वक्त में तावड़े ने ना सिर्फ पार्टी में बिखराव को रोक बल्कि एनडीए का भी दायरा बढ़ाया. नीतीश कुमार की जब वापसी हुई तब चिराग पासवान, उपेंद्र कुशवाह और जीतन राम मांझी तीनों अलग राह चुनने की तैयारी करने लगे थे. लेकिन विनोद तावड़े ने सभी को एकजुट रखने में कामयाबी हासिल की. इतना ही नहीं एनडीए में सीट शेयरिंग के दौरान मचे घमासान को भी संभालने में उनकी अहम भूमिका रही. पशुपति पारस नाराज हुए तो उनकी पार्टी के अन्य नेताओं को साध लिया. 


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संगठन में खुद को साबित किया


तावड़े को करीब दो दशक का संगठन का अनुभव है. वे फिलहाल भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव हैं. वे बचपन से ही RSS से जुड़े रहे हैं. तावड़े की काबिलियत को देखते हुए ही बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उन्हें अपनी टीम में शामिल किया था. मिशन 2024 के लिए उन्हें बिहार की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. इस लोकसभा चुनाव में उनको 144 लोकसभा सीटों की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. इस इम्तिहान में भी वह खरे उतरे हैं. लोकसभा चुनाव से पहले तावड़े विपक्ष को झटका देने से भी नहीं चूकते रहे. झारखंड में हेमंत सोरेन के परिवार में भी सेंधमारी करके उनकी भाभी सीता सोरेन को बीजेपी में शामिल कराने में उनका ही हाथ था. बिहार-झारखंड के अलावा विनोद तावड़े अन्य राज्यों में भी एक्टिव हैं. पंजाब में उन्होंने कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के नेताओं को तोड़कर अपनी पार्टी का दायरा बढ़ाया. 


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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव पर नजर 


लोकसभा चुनावों में महाराष्ट्र में एनडीए की जो दुर्गति हुई है वह किसी से छुपी नहीं है. कहा जा रहा है कि मराठा समुदाय की नाराजगी की चलते बीजेपी और उसकी सहयोगियों को इतना बड़ा डैमेज हुआ. प्रदेश में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं. पार्टी को एक मराठा क्षत्रप की तलाश है जो उसके खिसकते जनाधार को ना सिर्फ रोके बल्कि आगे भी बढ़ाए. विनोद तावड़े को पार्टी अध्यक्ष बनाकर पार्टी मराठा जनता को संदेश दे सकती है कि मराठों से उसका कोई दुराव नहीं है. इसके अलावा बीजेपी और आरएसएस में खटपट की खबरें आ रही हैं. कहा जा रहा है कि आरएसएस की नाराजगी की वजह से ही इस लोकसभा चुनाव में बीजेपी को इस दुर्गति का सामना करना पड़ा है. विनोद तावड़े बीजेपी में संघ परिवार से आए थे. अगर उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया तो बीजेपी और संघ दोनों के रिश्ते फिर से बेहतर हो सकते हैं.